आरबीआई चाहता है, रिटेल पेमेंट सिस्टम में और प्राइवेट कंपनियां आएं


बेंगलुरु । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) चाहता है कि देश में आईएमपीएस और यूपीआई जैसे रिटेल पेमेंट सिस्टम को डिवेलप करने के लिए कुछ और प्राइवेट फर्म्स सामने आएं। इसके लिए केंद्रीय बैंक ने कुछ नियम तय किए हैं। इसके आधार पर प्राइवेट पार्टी इसे विकसित करने के लिए आवेदन कर सकती हैं। आरबीआई ने एक नोट में लिखा है कि तेजी से उभरते इस सेक्टर में अभी कुछ ही प्लेयर्स हैं और वह कॉम्पिटीशन को बढ़ावा देने के लिए कई कंपनियों को देश में पेमेंट्स सिस्टम तैयार करने की इजाजत दे सकता है। आरबीआई ने कहा है कि रिटेल डिजिटल पेमेंट सिस्टम को मजबूत करने के लिए कई स्तरों पर पहल की जरूरत है। नोट में लिखा है कि पेमेंट सिस्टम के लिए एंट्री नॉर्म्स और प्रक्रियाओं को आसान बनाया जा सकता है। रेगुलेटर ने इस मामले पर आम लोगों की राय लेने के लिए पेमेंट सिस्टम की अपनी योजनाओं को सार्वजनिक करते हुए उस पर 20 फरवरी 2019 तक टिप्पणियां मंगाई हैं।
आरबीआई ने इसकी वजह बताई, बहुत सारे पेमेंट्स सिस्टम के लिए सिर्फ गिने-चुने ऑपरेटर्स ही मौजूद हैं, जिससे सिस्टम में कंसंट्रेशन रिस्क की आशंका बढ़ गई है। उसने इसके लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) का उदाहरण दिया, जो चेक पेमेंट्स, स्मार्टफोन आधारित यूपीआई, आईएमपीएस और यहां तक की फीचर फोन यूजर्स के लिए यूएसएसडी की निगरानी करती है।
यह प्लेटफॉर्म देश के कुल रिटेल पेमेंट्स के 48 पर्सेंट हिस्से की निगरानी करता है, जो पिछले साल अक्टूबर में हुए कुल ट्रांजैक्शन का 15 पर्सेंट था। इस सेगमेंट में कंसंट्रेशन के कुछ फायदे भी हैं। जैसे निगरानी की कम लागत या गवर्नेस में आसानी। हालांकि इससे मोनोपॉली (एकाधिकार) की स्थिति बनती है, जिसके लगातार इनोवेशन या अपग्रेडेशन नहीं होने पर पूरे सिस्टम के बैठने का खतरा रहता है।
इसलिए आरबीआई ने ओपन इन्वाइरनमेंट का सुझाव दिया है, जिसमें कई कंपनियां एक दूसरे से मुकाबला करेंगी। इसके तहत कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स के साथ मार्केट में आएंगी और आगे उसमें इनोवेशन करती रहेंगी। हालांकि आरबीआई नोट में कहा गया है कि इसके लिए इन सभी प्लेटफॉर्म के बीच इंटर-ऑपरेबिलिटी सिस्टम की जरूरत होगी। 

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