आधार से होगी लावारिस लाश की पहचान


नई दिल्ली । देश भर में लावारिस लाशों की पहचान में आधार कार्ड मददगार साबित हो सकता है। फरेंसिक एक्सपर्ट की राय है कि लावारिस लाशों की पहचान के अब तक जितने तरीके हैं वे फेल हैं और 72 घंटे में पहचान अमूमन नहीं ही हो पाती है। उनका मानना है कि 99 प्रतिशत लावारिस लाशों की पहचान नहीं हो पाती। डॉक्टरों के मुताबिक आधार के बायोमीट्रिक सिस्टम से लावारिस लाश की पहचान एक मिनट में हो सकती है। इसके लिए लंबा इंतजार करने की भी जरूरत नहीं होगी।
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन के फरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर अरविंद कुमार का रिव्यू आर्टिकल हाल ही में इंटरनैशनल जर्नल ऑफ फरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजिकल साइंस में पब्लिश किया गया है। डॉक्टर अरविंद ने लावारिस लाशों का दर्द अपनी कविता के जरिए दर्शाने की कोशिश की है। उन्होंने लिखा है-कोल्ड रूम में भी शरीर गर्म और सूख रहा है, 72 घंटे बाद ये भी खत्म होने वाला है, केवल एक उम्मीद भर के लिए हड्डी का टुकड़ा रख लिया जाएगा।
नाकाफी साबित होती हैं कोशिशें
डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने आज तक नहीं देखा कि किसी लावारिस डेडबॉडी की पहचान हो पा रही है, क्योंकि पहचान के लिए सिर्फ 72 घंटे होते हैं। इतने समय में पहचान कर पाना आसान नहीं होता। पहले लोग इन्हें छूना पसंद नहीं करते, मरने के बाद इनकी फोटो भी ठीक से नहीं आती, पुलिस ब्लैक एंड वाइट फोटो अखबार में छापकर पहचान की कोशिश तो जरूर करती है, लेकिन यह सब नाकाफी साबित होता है। लाश लावारिस ही रह जाती है।
72 घंटे बाद लाश डिस्पोज कर देती है पुलिस
उन्होंने कहा कि 72 घंटे के बाद पुलिस पोस्टमॉर्टम करके लाश को डिस्पोज कर देती है और भविष्य में पहचान के लिए उनकी हड्डी रख लेती है। हड्डी रखने के भी सही सिस्टम नहीं है। ऐसे में आधार बेहतर विकल्प है। आज आधार हर किसी के पास है। देश की 90 पर्सेंट आबादी इससे जुड़ चुकी है। अगर पुलिस को एक पोर्टेबल बायोमीट्रिक सिस्टम दे दिया जाए तो लावारिस बॉडी का अंगूठा टच कराते ही सारी जानकारी मिल जाएगी। 

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