खरीदी केंद्रों की लालफीताशाही से मक्का नहीं बेच रहे किसान


जगदलपुर । संभाग के मक्का खरीदी के लिए बनाये गये 148 खरीदी केंद्रों में अभी तक मक्का की खरीदी शुरू नहीं हो पाई है और खरीदी केंद्रों की लालफीताशाही इसमें बहुत बड़ा कारण बनकर आई है।
मक्का खरीदी की शुरूआत 1 नवंबर से धान की खरीदी के साथ शुरू हो चुकी है, लेकिन मक्का की ऊपज लेकर आने के बाद भी किसान से नमी का बहाना बनाकर इसे नहीं खरीदा जाता है। इसके साथ ही किसान को समर्थन मूल्य 1700 रूपए के स्थान पर 1200-1300 रूपए ही देने की पेशकश की जाती है। जबकि बाजार में किसानों को 1300 से लेकर 1400 रूपए तक की कीमत प्रति च्ंिटल घर बैठे ही अपनी ऊपज का मिल जाता है। ऐसी स्थिति में किसान खरीदी केंद्रों तक अपनी फसल ले जाने में रूचि नहीं रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि खरीदी केंद्रों में दिखावे के लिए दिसंबर माह के बाद ही किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है, लेकिन किसानों को तत्काल अपनी फसल का भुगतान नहीं हो पाता और किसानों को अपनी फसल की राशि पांच-पांच या छह माह तक प्राप्त होती है। इन कारणों से किसान नगद राशि की चाहत में खरीदी केंद्रों तक अपनी फसल को लाने में हिचकते हैं। बस्तर जिले में मक्का खरीदी के लिए 24 केंद्र बनाये गये हैं और इन केंद्रों के प्रभारियों द्वारा मक्का खरीदी के लिए केवल जनवरी का ही माह निर्धारित कर खरीदी की जाती है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि किसानों को मक्का की फसल जानबूझकर खुले बाजार में बेचने के लिए विवश किया जाता है। लालफीताशाही के चलते किसानों को मक्का खरीदी का झांसा ही दिया जाता है। इसीलिए मक्का की खरीद इन खरीदी केंद्रों में अभी तक जीरो है और थोड़ी बहुत खरीद जनवरी में ही होगी। 

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