ढाका। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के समय में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं सीमा पार कर गई हैं। मयमनसिंह इलाके में भीड़ द्वारा हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की बेरहमी से हत्या के मामले में अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले के चार मुख्य आरोपियों ने गुरुवार को कोर्ट में अपना जुर्म कबूल कर लिया। भीड़ ने पहले दीपू पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उसे बुरी तरह पीटा और फिर उसे पेड़ से बांधकर जि़ंदा जला दिया। इस घटना ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है और अब बांग्लादेश पुलिस ने जांच तेज़ कर दी है।
कोर्ट में क्या हुआ?
चारों आरोपियों, तारिक हुसैन (19), मानिक मिया (20), निज़ामुल हक (20) और अजमल चगीर (26) ने मैमनसिंह चीफ़ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए। ये चारों उसी फ़ैक्ट्री में काम करते थे जहाँ दीपू दास काम करता था। इन आरोपियों ने न सिफऱ् जुर्म कबूल किया है, बल्कि पुलिस को हत्या में शामिल कुछ और लोगों के नाम भी बताए हैं। एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस अब्दुल्ला अल मामून ने कहा, "आरोपियों के सेक्शन 164 के तहत दिए गए बयान बहुत ज़रूरी हैं और उन्होंने जांच को एक नई दिशा दी है।"
कोई साजि़श नहीं थी, बल्कि भीड़ की क्रूरता थी!
शुरुआती पुलिस जांच से पता चला कि यह हत्या किसी बड़ी साजि़श का हिस्सा थी। हालांकि, जांच के बाद यह बात सामने आ रही है कि यह घटना अचानक गुस्साई भीड़ के गुस्से का नतीजा थी। पुलिस ने साफ किया है, "कोई पहले से प्लान नहीं था, लेकिन मौके पर जमा हुई भीड़ और फैली अफवाहों की वजह से यह बेरहमी से हत्या हुई।" दीपू को भीड़ ने रात करीब 9 बजे ईशनिंदा के आरोप में पकड़ा था और बेरहमी से टॉर्चर करके मार डाला गया।
हिंसा जारी है
एक और युवक की हत्या अभी दीपू चंद्र दास की हत्या की बात शांत भी नहीं हो रही है, बांग्लादेश में एक और माइनॉरिटी युवक, अमृत मंडल उर्फ सम्राट (29) की भीड़ ने लिंचिंग कर दी। स्थानीय लोगों ने अमृत पर जबरन वसूली का आरोप लगाया और कानून अपने हाथ में लेकर उसकी हत्या कर दी। बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और माइनॉरिटी को निशाना बनाए जाने से वहां के हिंदू समुदाय में डर का माहौल बन गया है।
