देश के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं: नायडू

नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश के अंदरुनी मामलों में विदेशी संस्थाओं के बढ़ते हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि 70 साल पुरानी गणतंत्रात्मक भारतीय शासन व्यवस्था अपने नागरिकों के सरोकारों को देखने के लिए पूरी तरह से सक्षम है और इसमें बाहरी दखल की कोई गुंजाइश नहीं है। नायडू ने यहां एक पुस्तक 'टीआरजी - एन एनिग्माÓ का लोकार्पण करते हुए कहा कि विदेशी संस्थायें उन मामलों में हस्तक्षेप कर रही है जो पूरी तरह से भारतीय संसद और भारत सरकार के दायरे में हैं। विदेशी संस्थाओं की यह प्रवृत्ति चिंताजनक है। उन्होंने इन संस्थाओं के ऐसे कृत्यों को गैर जरुरी और अवांछित करार देते हुए उम्मीद जतायी कि भविष्य में ये संस्थायें इनसे दूर रहेगी।  उन्होंने कहा कि परिपक्व और लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था होने के कारण भारत अपने नागरिकों के सरोकारों का समाधान करने में पूरी तरह से सक्षम है और उसे ऐसे मामलों में किसी की सलाह या दिशा निर्देश की जरुरत नहीं है।
उन्होंने कहा " 70 वर्ष के अनुभवों के कारण हमने बहुत सारी चुनौतियों का सफलता पूर्वक सामना किया है। अब हम पहले के मुकाबले ज्यादा एकजुट हैं और इस संबंध में किसी को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।  भारतीय गणतंत्र के रुप में 70 साल की यात्रा पूरी करने के लिए लोगों को शुभकामनायें देते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र के रुप में भारत हमेशा अपने नागिरकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता के लिए प्रतिबद्ध है।  नायडू ने कहा कि देश की शासन व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रणाली नागरिकों को मतभेदों और असहमतियों को व्यक्त करने का पर्याप्त अवसर देती हैं। उन्होंने आपातकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भी मौलिक अधिकारों पर आघात हुआ है तो नागरिकों ने एकजुटता के साथ आवाज उठायी है और इनकी रक्षा की है। इसके परिणाम स्वरुप भारतीय लोकतंत्र और अधिक मजबूत हुआ है।

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