विधानसभा : सुपेबेड़ा की किडनी प्रभावितों के इलाज हेतु की जा रही समुचित व्यवस्था : टीएस सिंहदेव


  • -विधायक सत्यनारायण शर्मा ने उठाया किडनी से मौतों का मामला 
रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र  में आज कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा किडनी बीमारी से ग्रसित लोगों के बारे में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सदन में रखा। सत्यनारायण शर्मा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में स्वास्थ्य मंत्री से जानना चाहा कि गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में किडनी बीमारी से मौत का सिलसिला 2005 से निरंतर अभी तक जारी है और अब तक वहां 70 मौतें हो चुकी है। किंतु इन मौतों का कारण किडनी संबंधी बीमारी न होकर अन्य कारण बताया जा रहा है जबकि स्थानीय निवासियों के अनुसार उक्त मौतें किडनी संबंधी बीमारी से हुई है। हर साल इन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। किडनी की बीमारी से जूझ रहे अनेक ग्रामीणों की हालत निरंतर खराब होती जा रही है और उन्हें राज्य के बाहर पड़ोसी राज्य ओडिशा में इलाज के लिए भर्ती कराया जा रहा है। शासन प्रशासन द्वारा इलाज का सिर्फ दावे किए जा रहे हैं किंतु रोकथाम नहीं हुई है। स्वास्थ्य क्षेत्र में न तो किडनी विशेषज्ञ डॉक्टर है और न ही उनके द्वारा क्षेत्र के गांव में जाकर जांच एवं इलाज किया जा रहा है। बीमारी के डर से सुपेबेड़ा एवं आसपास के ग्रामों से ग्रामवासियों का पलायन निरंतर जारी है। किडनी की बीमारी के चलते इस ग्राम के बच्चों से शादी ब्याह एवं सामाजिक संबंध रखने से अन्य ग्रामों के निवासी परहेज कर रहे हैं। इन सब बातों को लेकर ग्रामीणों में दहशत का माहौल और उनमें आक्रोश व्याप्त है। 
इस ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में अपने वकव्य में  परिवार कल्याण चिकित्सा मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में असामाजिक मौत का सिलसिल निरंतर अभी तक जारी है। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि सुपेबेड़ा में वर्ष 2005 से अब तक प्राप्त जानकारी के आधार पर कुल 68 लोगों की असामायिक मृत्यु हुई है। जिनके रक्त में यूरिया एवं क्रिएटिनीन मानक मात्रा से अधिक थे किंतु यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि उक्त मौतें किडनी बीमारी से हुई है। 
यह भी सत्य नहीं है कि किडनी बीमारी से मौतें होने की जानकारी तथा हर साल मरीजों की संख्या बढ़ रही है, किडनी बीमारी से जूझ रहे अनेेक ग्रामीणों के हालत निरंतर खराब हो रहे हैं और उन्हें राज्य के बाहर पड़ोसी ओडिशा राज्य में इलाज के लिए भर्ती कराया जा रहा है। शासन प्रशासन द्वारा इलाज के सिर्फ दावे किए गए किंतु इसकी रोकथाम नहीं हुई है। चिकित्सा मंत्र ने यह भी कहा कि वस्तुस्थिति यह है कि राज्य शासन द्वारा ग्राम सुपेबेड़ा एवं आश्रित ग्रामों में विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर समुचित एवं बेहतर स्वास्थ्य परामर्श निरंतर दिया जा रहा है तथा मरीजों की बीमारी के अनुरूप आवश्यकतानुसार उच्च स्तर पर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान कराने के लिए जिला चिकित्सालय एवं मेकाहारा रायपुर को रेफर किए जा रहे हैं। 
राज्य शासन द्वारा ग्राम सुपेबेड़ा एवं आश्रित ग्रामों के लिए की गई स्वास्थ्य सुविधा व्यवस्था के अंतर्गत-ग्राम सुपेबेड़ा में सप्ताह के कुल 9 स्वास्थ्य शिविर आयोजित की जा चुकी है, पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर भेजे गए मरीजों की संख्या 25 दिनांक 7 जुलाई 2017 से 19 जनवरी 2019 तक रक्त नमूने की संख्या 681 , सुपेबेड़ा में अस्थायी शिविर दो दिसंबर 2017 से आज तक ओपीडी में देखे गए कुल मरीजों की संख्या 902 है एवं फालोअप मरीजों की संख्या 278 है। 19 जनवरी 2019 को पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के विशेषज्ञ टीम द्वारा ग्राम सुपेबेड़ा में केंप लगाया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर से सतत तौर पर चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदाय की जा रही है। रोकथाम नहीं हुई है। वस्तुस्थिति यह है कि राज्य शासन द्वारा ग्राम सुपेबेड़ा एवं आश्रित ग्रामों में विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर समुचित एवं बेहतर स्वास्थ्य मरामर्श निरंतर दिया जा रहा है तथा मरीजों की बिमारी के अनुरूप आवश्कतानुसार उच्च स्तर पर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए जिला  चिकित्सालय एवं मेकाहारा रायपुर को रेफर किये जा रहे है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्राम सुपेबेड़ा में सप्ताह के कुल 9 स्वास्थ्य शिविर आयोजित की जा चुकी है। पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर भेजे गये मरीजों की संख्या 25, दिनांक 7.7.2017 से 19.01.2019 तक रक्त नमूने की, संख्या 681, सुपेबेड़ा में अस्थायी शिविर 2.12.2017 से आज तक ओपीडी में देखे गये कुल मरीजों की संख्या 902 है एवं फालोअप मरीजों की संख्यसा 278 है, दिनांक 19.01.2019 पं. जवाहरलाल नेरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के विशेषज्ञ टीम द्वारा सुपेबेड़ा में केम्प लगाया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर से सतत तौर पर चिकित्सकीय सुविधायें प्रदान की जा रही है। 
दिनांक 24.3.2018 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र देवभोग में मरीजों के लिए सेमी-आटोएनालाईजर मशीन स्थापित कर ली गई है। किडनी फंक्शन टेस्ट के अंतर्गत अब तक, ओपीडी में आये मरीजों का ब्लड-यूरिया, सीरम क्रियेटिनीन एवं सीरम इलेक्ट्रोलाईट की जांच की जा रही है। इसके अतिरिक्त लीवर फंक्शन टेस्ट भी किये जा रहे हैं। 
 सीएचसी देवभोग में सेम्पल जांच से संभावित मरीज केा डायलिसिस के लिए सलाह दी जाती है। 
 सीएचसी देवभोग में सभी दवाईयां उपलब्ध करा दी गई है। ग्रामीणों केा किडनी संबंधित बीमारी से बचाव हेतु डाईट चार्ज एवं मरीजों हेतु स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करा दी गई है। 
डायलिसिस मशीन के सुचारू संचालन हेतु सीएचसी देवभोग से 2 मेडिकल ऑफिसर एवं 2 लैब टेक्निशियन, 3 स्टाफ नर्स को प्रशिक्षण हेतु डीकेएस सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल पीजी इंस्टीट्यूट में दिनांक 5.02.2019 से 20.02.2019 तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 
ग्राम सुपेबेड़ा में उपस्वास्थ्य केन्द्र की स्वीकृति प्रदाय की गई है भवन का चिन्हांकन कर लिया गया है। 
सुपेबेड़ा उपस्वास्थ्य केन्द्र हेतु स्वास्थ्य कर्मचारी का 2 पदों की स्वीकृति दी गई है। 
ग्राम सुपेबेड़ा में मेडिकल ऑफिसर की सेवा उपलब्ध कराने हेतु सीएचसी देवभोग एवं जिला चिकित्सालय में मेडिकल ऑफिसर की प्रतिदिन सेामवार से शनिवार रोस्टर ड्यूटि लगाई गई है। 
जिला गरियाबंद में 2 ग्रामीण मोबाईल यूनिट का संचालन किया जा रहा है। जिसमें रहे 01 ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट को वि.ख. देवभोग से संचालित किए जाने हेतु तथा प्रत्येक सप्ताह में एक दिवस हेतु ग्राम सुपेबेड़ा विकासखंड देवभोग में अनिवार्य रूप से संचालन करने शासन द्वारा सेवाप्रदाता एजेंसी को निर्देशित किया गया है। 
उन्होंने बताया कि डीकेएस सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल पीजी इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर रायपुर से किडनी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक एवं उनकी टीम द्वारा सुपेबेड़ा में कॉनिक किडनी डिसिस (सीकेडी) मरीजों की जांच की गई। जिसमें ओपीडी में मरीजों की देखे गये संख्या 71 है। जिनमें में से 14 मरीजों का जांच एवं उपचार किया गया। 4 मरीजों को उच्च स्तरीय चिकित्सकीय उपचार हेतु डीकेएस सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल पीजी इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर रायपुर आने की सलाह दी गई। कुल ब्लड सेंपल 17 लिया गया।  2 फरवरी 2019 को मेरे एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री द्वारा सचिव स्वास्थ्य के साथ ग्राम सुपेबेड़ा का भ्रमण किया गया एवं जनसमुदाय एवं पीडि़त मरीजों की तबियत की जानकारी प्राप्त कर तकलीफों को ध्यान में रखते हुए तत्काल विशेष स्वास्थ्य शिविर समुचित उपचार कराने तथा आवश्यकता के अनुरूप बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए जिला चिकित्सालय एवं विशेषज्ञ एवं चिकित्सकों के सलाह के अनुरूप डायलिसिस कराने के लिए मेकाहारा रायपुर में आने का सुझाव दिए गए हैंं। 
मेरे द्वारा ग्राम सुपेबेड़ा भ्रमण में ग्रामवासियों को दिये गये आश्वासन के अनुरूप एक मोबाईल मेडिकल यूनिट सेवा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र देवभोग जिला गरियाबंद को उपलब्ध कराई गई है। यह कहना सही नहीं है कि बिमारी के डर से सुपेबेड़ा एवं आसपास के ग्रामों से ग्रामवासियों का पलायन निरंतर जारी है। अपितु वस्तुस्थिति यह है कि ग्राम पंचायत सुपेबेड़ा के सचिव से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार विगत एक वर्ष से ग्राम सुपेबेड़ा क्षेत्र से किसी का पलायन अन्य क्षेत्र में नहीं हुआ है। यह कहना भी सही नहीं है कि किडनी की बीमारी के चलते इस ग्राम के बच्चों से शादी ब्याह एवं अन्य सामाजिक संबंध रखने से अन्य ग्रामों के निवासी परहेज कर रहे हैं। सत्य यह है कि विगत तीन माह में सुपेबेड़ा ग्राम के सानझाजरपारा में कु. लहबारू का विवाह मकरसिंह से ग्राम के ही बंदपारा में कु. ग्वादि का विवाह गंभीर से एवं बंदपारा में ही कु. खेमानिधिी का विवाह टंकधर से संपन्न हुआ है। अत: यह कहना पूर्णत: असत्य है कि क्षेत्र में किडनी की बीमारी के चलते सामाजिक संबंध स्थापित नहीं किये जा रहे हैं। अपितु वास्तविकता यह है कि शासन-प्रशासन द्वारा ग्रामीणों की बीामरी के निदान एवं उपचार के लिए किये जा रहे प्रयासों से आम जनता आशान्वित है तथा इन सब बातों को लेकर ग्रामीणों में किसी भी प्रकार का दहशत का माहौल नहीं है तथा उनमें किसी भी प्रकार का कोई आक्रोश व्याप्त नहीं है।  

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