मुंबई: बाॅलीवुड एक्टर शाहरुख खान की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'ज़ीरो' बीते दिन रिलीज हो गई है। इस फिल्म में शाहरुख ने 4 फीट 6 इंच के बौने बउवा सिंहका किरदार निभाया है। एक सुपरस्टार के लिए यह बहुत ही रिस्की रोल है और साथ ही चुनौतीपूर्ण भी है। 26 साल के करियर में ऐसा पहली बार हुआ है जब शाहरुख ने ऐसा रोल चुना हो। शाहरुख का यह किरदार फिल्म रिलीज से पहले ही काफी पाॅपुलर हो गया था। लेकिन क्या आपको पता है कि इस किस टेक्नीक के जरिए पांच फीट 8 इंच (5’ 8”) के शाहरुख खान को चार फीट 6 इंच (4’ 6”) का बना दिया गया। आज हम आपको इस पैकेज में बताएंगे कि कैसे शाहरुख को एक बौने के करिदार में तराशा गया।
Forced Perspective तकनीक का प्रयोग
फिल्म जीरों में Forced Perspective तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। दरशल यह तकनीक
Optical illusion बनाती है जिससे कोई इंसान या वस्तु अलस में आकार में छोटी और बड़ी नजर आने लगती है। इन सीनस की शूटिंग दो बार होती है। एक बार जिसे छोटा दिखाना होता है उसके एंगल से तो दूसरी जिन्हे बड़ा दिखाना होता है उस एंगल से होती है।
शाहरुख की कंपनी ने इस पर काम
बता दें कि यह सारा काम शाहरुख की कपंनी रेड चिलिज इंटरटेनमेंट के करीब 450 लोगों ने मिलकर किया है। एक इंटरव्यू में शाहरुख ने बताया था कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बनने वाली फिल्मों में ये सबसे एडवांस विजुअल इफेक्ट्स वाली फिल्म है। मेरी ही कंपनी ने इसे बनाया है और इसमें करीब दो साल लगे हैं। हर बार ऐसी फिल्म नहीं बनती। वक्त लगता है, बहुत पैसा खर्च होता है।'
CG trackers
फिल्म में CG trackers की मदद से भी शाहरुख को छोटा दिखाया गया है। शूटिंग के दौरान इस ट्रैकर को शरीर में लगा दिया जाता है। उसकी मदद से टीम 3डी इमेज क्रिएट करती है। फिल्म देखते समय कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि ये नकली है।फिल्म में इस्तेमाल किए गए वीएफएक्स बहुत असली लगते हैं हर किसी ने उसकी तारीफ की है।
हॉलीवुड की कई फिल्मों में हो चुका है इस्तेमाल
बता दें कि हॉलीवुड पहले से ही इस टेक्नीक का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन बॉलीवुड में यह तकनीक पहली बार शाहरुख की फिल्म में इस्तेमाल की गई है। हॉलीवुड की फिल्म 'द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' और हैरी पॉटर में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
बौने का किरदार निभाने वाले SRK चौथे भारतीय अभिनेता
बाॅलीवुड में बनी फिल्मों में शाहरुख चौथे स्टार हैं जिन्होंने एक बौने का किरदार निभाया। इससे पहले कमल हासन, अनुपम खेर और जॉनी लीवर बौने के किरदार में नजर आ चुके हैं लेकिन जो तकनीक शाहरुख की फिल्म में प्रयोग की गई है वह पहले नहीं की गई। साल 1989 में फिल्म 'अपूर्व सहोदरंगल' में कमल हासन बौने के किरदार में दिखे थे। साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म आशिक में जॉनी लीवर और 2006 में
आई फिल्म में जानेमन' में अनुपम खेर ने एक बौने का किरदार निभाया था। इन स्टार्स के पैर मोड़कर एक्टिंग की थी।'अपूर्व सहोदरंगल' के डायरेक्टर ने फिल्म रिलीज के काफी समय बाद बताया था कि इसके लिए खास तरह के जूते बनवाए गए थे जिसमें घुटने मोड़कर फिट होते थे और उसके साथ आर्टिफिशयल पैर भी लगे हुए थे।
NASA में हुई क्लाइमैक्स की शूटिंग
फिल्म के सेकेंड हाफ में ज्यादातर नासा ही कहानी है। क्लाइमैक्स को अनुष्का, माधवन और शाहरुख ने नासा में शूट किया। फिल्म का बाकी हिस्सा यूनिवर्सल स्टूडियो में फिल्माया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म के क्लाइमैक्स को शूट करने में करीब 45 दिन लगे।
कहानी में शाहरुख ने खाई मात
फिल्म में शाहरुख की एक्चिंग को काफी पसंद किया गया। उन्होंने एक बौने व्यक्ति का किरदार बड़ी ही बखूबी से निभाया। हर कोई शाहरुख की एक्टिंग को पसंद कर रहे हैं। बउवा का कद चाहे छोटा है लेकिन उसमें कॉन्फिडेंस की कमी नहीं है। वह सुपरस्टार बबिता सिंह (कैटरीना कैफ) के घर तक पहुंच जाता है। प्यार पाने के लिए वह चांद पर जाने से भी नहीं डरता। फिल्मके सभी स्टार्स ने अपने किरदार को काफी अच्छे से निभाया लेकिन इसके बावजूद फिल्म उतनी अच्छी नहीं बन पाई जिसकी उम्मीद की जा रही थी।
Forced Perspective तकनीक का प्रयोग
फिल्म जीरों में Forced Perspective तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। दरशल यह तकनीक
Optical illusion बनाती है जिससे कोई इंसान या वस्तु अलस में आकार में छोटी और बड़ी नजर आने लगती है। इन सीनस की शूटिंग दो बार होती है। एक बार जिसे छोटा दिखाना होता है उसके एंगल से तो दूसरी जिन्हे बड़ा दिखाना होता है उस एंगल से होती है।
शाहरुख की कंपनी ने इस पर काम
बता दें कि यह सारा काम शाहरुख की कपंनी रेड चिलिज इंटरटेनमेंट के करीब 450 लोगों ने मिलकर किया है। एक इंटरव्यू में शाहरुख ने बताया था कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बनने वाली फिल्मों में ये सबसे एडवांस विजुअल इफेक्ट्स वाली फिल्म है। मेरी ही कंपनी ने इसे बनाया है और इसमें करीब दो साल लगे हैं। हर बार ऐसी फिल्म नहीं बनती। वक्त लगता है, बहुत पैसा खर्च होता है।'
CG trackers
फिल्म में CG trackers की मदद से भी शाहरुख को छोटा दिखाया गया है। शूटिंग के दौरान इस ट्रैकर को शरीर में लगा दिया जाता है। उसकी मदद से टीम 3डी इमेज क्रिएट करती है। फिल्म देखते समय कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि ये नकली है।फिल्म में इस्तेमाल किए गए वीएफएक्स बहुत असली लगते हैं हर किसी ने उसकी तारीफ की है।
हॉलीवुड की कई फिल्मों में हो चुका है इस्तेमाल
बता दें कि हॉलीवुड पहले से ही इस टेक्नीक का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन बॉलीवुड में यह तकनीक पहली बार शाहरुख की फिल्म में इस्तेमाल की गई है। हॉलीवुड की फिल्म 'द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' और हैरी पॉटर में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
बौने का किरदार निभाने वाले SRK चौथे भारतीय अभिनेता
बाॅलीवुड में बनी फिल्मों में शाहरुख चौथे स्टार हैं जिन्होंने एक बौने का किरदार निभाया। इससे पहले कमल हासन, अनुपम खेर और जॉनी लीवर बौने के किरदार में नजर आ चुके हैं लेकिन जो तकनीक शाहरुख की फिल्म में प्रयोग की गई है वह पहले नहीं की गई। साल 1989 में फिल्म 'अपूर्व सहोदरंगल' में कमल हासन बौने के किरदार में दिखे थे। साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म आशिक में जॉनी लीवर और 2006 में
आई फिल्म में जानेमन' में अनुपम खेर ने एक बौने का किरदार निभाया था। इन स्टार्स के पैर मोड़कर एक्टिंग की थी।'अपूर्व सहोदरंगल' के डायरेक्टर ने फिल्म रिलीज के काफी समय बाद बताया था कि इसके लिए खास तरह के जूते बनवाए गए थे जिसमें घुटने मोड़कर फिट होते थे और उसके साथ आर्टिफिशयल पैर भी लगे हुए थे।
NASA में हुई क्लाइमैक्स की शूटिंग
फिल्म के सेकेंड हाफ में ज्यादातर नासा ही कहानी है। क्लाइमैक्स को अनुष्का, माधवन और शाहरुख ने नासा में शूट किया। फिल्म का बाकी हिस्सा यूनिवर्सल स्टूडियो में फिल्माया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म के क्लाइमैक्स को शूट करने में करीब 45 दिन लगे।
कहानी में शाहरुख ने खाई मात
फिल्म में शाहरुख की एक्चिंग को काफी पसंद किया गया। उन्होंने एक बौने व्यक्ति का किरदार बड़ी ही बखूबी से निभाया। हर कोई शाहरुख की एक्टिंग को पसंद कर रहे हैं। बउवा का कद चाहे छोटा है लेकिन उसमें कॉन्फिडेंस की कमी नहीं है। वह सुपरस्टार बबिता सिंह (कैटरीना कैफ) के घर तक पहुंच जाता है। प्यार पाने के लिए वह चांद पर जाने से भी नहीं डरता। फिल्मके सभी स्टार्स ने अपने किरदार को काफी अच्छे से निभाया लेकिन इसके बावजूद फिल्म उतनी अच्छी नहीं बन पाई जिसकी उम्मीद की जा रही थी।