नई दिल्ली। रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन चार साल बाद भारत आ रहे हैं। पुतिन के स्वागत के लिए दिल्ली में 'रेड कार्पेट' बिछाया गया था, लेकिन इस दौरे से सबसे ज़्यादा बेचैनी इस्लामाबाद में महसूस की जा रही है। जहां एक तरफ पाकिस्तान टेंशन में है, वहीं उसका एक पड़ोसी देश इस दौरे से बहुत खुश है। यह देश कोई और नहीं बल्कि अफगानिस्तान है। इस देश पर अभी तालिबान का राज है। तालिबान, जिसे दुनिया अभी भी ऑफिशियली मान्यता देने में हिचकिचा रही है, भारत और रूस की बदली हुई पॉलिसी की वजह से दोगुना खुश हो गया है।
तालिबान को लेकर पुतिन का बड़ा बयान
दिल्ली में भारतीय मीडिया से बातचीत करते हुए पुतिन ने तालिबान को लेकर एक चौंकाने वाला लेकिन साफ मैसेज दिया। पुतिन ने कहा कि तालिबान ने देश पर पूरा कंट्रोल कर लिया है। यह एक सच्चाई है और इसे मानना होगा। तालिबान की तारीफ करते हुए पुतिन ने दावा किया कि वे आतंकवाद के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं, आईएसआईएस और दूसरे आतंकवादी नेटवर्क पर हमला कर रहे हैं और अफीम का प्रोडक्शन काफी कम कर दिया है।
भारत-रूस जॉइंट स्ट्रैटेजी
दिल्ली में 23वें भारत-रूस समिट में अफगानिस्तान पर दोनों देशों के बीच पहले कभी नहीं हुआ तालमेल हुआ। जॉइंट स्टेटमेंट में कहा गया कि आतंकवाद के खिलाफ एक कॉम्प्रिहेंसिव और असरदार पॉलिसी बनाई जानी चाहिए। ढ्ढस्ढ्ढस् जैसे इंटरनेशनल आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए। इंसानी मदद बिना किसी रुकावट के अफग़ानिस्तान पहुँचनी चाहिए। सिक्योरिटी काउंसिल में रेगुलर कॉन्टैक्ट बनाए रखने चाहिए।
तालिबान के लिए यह जॉइंट वोट किसी सपोर्ट लेटर से कम नहीं है। शॉर्ट में, तालिबान इसलिए खुश है क्योंकि रूस की फॉर्मल पहचान से उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर लीगल सपोर्ट मिलता है। जबकि, इंडिया-रूस का जॉइंट सपोर्ट तालिबान को पॉलिटिकल वेट देता है।
इस्लामाबाद क्यों परेशान है?
तालिबान पर रूस और इंडिया का बढ़ता असर पाकिस्तान की स्ट्रेटेजिक पकड़ को कमज़ोर करता है। अफग़ानिस्तान पर पाकिस्तान की पकड़ अब कमज़ोर होती दिख रही है। आईएसआईएस-के के खिलाफ इंडिया-रूस की जॉइंट स्ट्रेटेजी पाकिस्तान के रीजनल असर को लिमिट करती है।
