नई दिल्ली। भौतिकी का नोबेल पुरस्कार 2025 कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले के जॉन क्लार्क, येल यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के मिशेल एच. डेवोरेट और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के जॉन एम. मार्टिनिस को प्रदान किया जाएगा। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने इलेक्ट्रिक सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण की खोज के लिए उनके अग्रणी कार्य को मान्यता दी, जो मानवीय पैमाने पर क्वांटम परिघटनाओं को प्रदर्शित करने की खोज में एक सफलता का प्रतीक है। मालूम हो कि विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना ( भारतीय रुपयों में 10.3 करोड़), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
इन शोधकर्ताओं को पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर को एक समारोह में औपचारिक रूप से स्टॉकहोम में पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। बता दें कि 1901 से 2024 के बीच 226 नोबेल पुरस्कार विजेताओं को 118 बार भौतिकी का यह सम्मान प्रदान किया जा चुका है। गौरतलब है कि अल्फ्रेड नोबेल एक धनी स्वीडिश उद्योगपति और डायनामाइट के आविष्कारक थे और उन्होंने ही इन पुरस्कारों की स्थापना की थी।
पिछले साल इन वैज्ञानिकों को मिला था पुरस्कार
पिछले साल यानी 2024 में मशीन लर्निंग में फिजिक्स के इस्तेमाल के लिए नोबेल प्राइज मिला था। जॉन जे. होपफील्ड और जेफ्री हिंटन को नोबेल से नवाजा गया था। जॉन हॉपफील्ड ने कंप्यूटर को चीजें याद रखने और पहचानने में मदद करने वाली तकनीक विकसित की थी। जिसे हॉपफील्ड नेटवर्क कहा जाता है। वहीं जेफ्री हिंटन, जिनको आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का 'गॉडफादरÓ भी कहा जाता है। उन्होंने बोल्ट्जमैन मशीन बनाई, जो कंप्यूटर को डेटा से खुद सीखने की क्षमता देता है।