एनआईए की जाँच में खुलासा: टीआरएफ को मलेशिया के रास्ते मिल रहा है पैसा, लाखों रुपये जमा किए


  • -टीआरएफ का गठन 2019 में लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रतिनिधि के रूप में किया गया 
  • -उद्देश्य हिजबुल मुजाहिदीन की जगह लेना और स्थानीय आतंकवादी गतिविधियों को एक नई पहचान देना 

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रतिनिधि संगठन, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के खिलाफ अपनी जाँच में अहम सबूत जुटाए हैं। एनआईए ने श्रीनगर में एक व्यक्ति के मोबाइल फोन से 450 से ज़्यादा कॉन्टैक्ट लिस्ट ज़ब्त की हैं। इससे टीआरएफ को फंड देने वालों की पहचान करने में मदद मिली है। संगठन ने पहले 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जि़म्मेदारी ली थी। हालाँकि, बाद में संगठन ने अपना दावा वापस ले लिया।


जाँच के दौरान, यह बात सामने आई है कि नीला टीआरएफएल को मलेशिया से हवाला के ज़रिए धन प्राप्त होता था। प्राप्त जानकारी के अनुसार जाँच में मलेशिया निवासी सज्जाद अहमद मीर की नाव का पता चला है। यासिर हयात या अन्य संदिग्धों के फोन कॉल विवरण से पता चलता है कि मिर्ची ने उससे संपर्क किया होगा और वित्तीय व्यवस्था की होगी।


प्राप्त जानकारी के अनुसार हयात ने टीआरएफ  के लिए धन जुटाने हेतु कई बार मलेशिया की यात्रा की। हयात ने मीर की मदद से टीआरएफ  के लिए 9 लाख रुपये जुटाए, जो संगठन के एक अन्य कार्यकर्ता शफात वानी को दिए गए। वानी टीआरएफ का एक प्रमुख कार्यकर्ता है और संगठन का संचालन करता है। यह भी पता चला कि वह विश्वविद्यालय में एक सम्मेलन में भाग लेने के बहाने मलेशिया गया था, जबकि विश्वविद्यालय ने उसे इस यात्रा पर नहीं भेजा था।


हयात न केवल मीर के संपर्क में था, बल्कि दो पाकिस्तानी नागरिकों के भी संपर्क में था। एनआईए की जाँच में यह भी पता चला है कि उसका मुख्य काम विदेशी कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाए रखना और आतंकवादी संगठन के लिए धन जुटाना था। उन्हें विदेशी धन का सुराग मिला है, जिसकी गहन जाँच की जा रही है। टीआरएफ का गठन 2019 में लश्कर-ए-तैयबा के एक सहयोगी के रूप में किया गया था। इस संगठन को जम्मू-कश्मीर में एक स्थानीय संगठन के रूप में चित्रित किया गया था। इसका उद्देश्य हिजबुल मुजाहिदीन की जगह लेना और स्थानीय आतंकवादी गतिविधियों को एक नई पहचान देना था।


टीआरएफ का गठन पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा को जि़म्मेदारी से बचाने के लिए किया गया था, ताकि कश्मीर में कथित संघर्ष को स्थानीय रूप में चित्रित किया जा सके। इसके अलावा, पाकिस्तान आतंकवादी हमले जारी रखना चाहता था और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल की निगरानी से बचना चाहता था। भारत ने टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया है और पाकिस्तान पर इस संगठन का समर्थन करने का आरोप लगाया है।

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