परंपरागत फसलों के बजाए सब्जी और फल उत्पादन से किसान कमा रहे हजारों
एमसीबी । जल संरक्षण और संवर्धन के लिए उपयुक्त स्थान पर बनी संरचनाएं मेहनतकश किसानों के लिए परिवर्तनकारी साबित हो रही हैं। इस बात का ज्वलंत उदाहरण है ग्राम पंचायत शिवपुर के पुसौर नाले में बना हुआ एक बहुपयोगी चेकडेम। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के जनपद पंचायत खड़गंवा का एक दूरस्थ ग्राम पंचायत है शिवपुर यहां पुसौर नामक एक बरसाती नाला है जो गांव के मध्य से बहता हुआ हसदेव नदी में जाकर मिलता है।
पुसौर नाले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत गत वर्ष बने इस चेकडेम के निर्माण के बाद से स्थानीय किसानों के जीवन स्तर में तेजी से बदलाव आ रहा है। पहले केवल परंपरागत फसलों के लिए बारिश और प्रकृति पर निर्भर रहने वाले मेहनतकश आदिवासी किसान अब हजारों रुपए की सब्जी का उत्पादन कर अपनी आर्थिक तरक्की कर रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व अपर आयुक्त मनरेगा ने अपने भ्रमण के दौरान भी यहां किसानों से संवाद करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया था।
ग्राम पंचायत शिवपुर में बहने वाले पुसौर नाले का लाभ केवल बारिश के मौसम में ही मिल पाता था, क्योंकि बारिश खत्म हो जाने के बाद से इसमें बहुत कम मात्रा में पानी का बहाव रह जाता था। ऐसे में इसके आस-पास बसने वाले किसानों के लिए यह उपयोगी साबित नहीं हो रहा था। दो वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत में लेबर बजट बनाए जाने के दौरान ग्रामीणों ने ग्राम सभा में पुसौर नाले में स्थायी संरचना बनाने के लिए मांग रखी और ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार एक तकनीकी प्रस्ताव बनाकर जिला पंचायत प्रेषित किया गया। कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा इस कार्य हेतु 18 लाख 92 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति का आदेश जारी करते हुए ग्राम पंचायत शिवपुर को ही निर्माण एजेंसी बनाया गया।
तकनीकी सहायक राहुल दास के देखरेख में समय सीमा में गुणवत्तापूर्ण कार्य पूरा कराया गया। इस चेकडेम के बन जाने से लगभग एक किलोमीटर तक जल रुकने लगा है और इससे सिंचाई का लाभ लेते हुए आस पास के दर्जन भर किसानों के जीवन में बदलाव आया है। ग्राम पंचायत के रहवासी और इस चेकडेम से अपने लगभग चार एकड़ खेतो में सिचाई का सीधा लाभ ले कर 25 ट्रेक्टर तरबूज बेच चुके किसान श्यामलाल आत्मज मंगल ने बताया कि उनकी आमदनी अब दोगुनी हो चुकी है। पहले खेती करने में सिंचाई को लेकर बहुत दिक्कतें आती थी। पर चेकडेम बन जाने से हर माह 4 से 5 हजार रूपए सब्जी बेचकर आमदनी हो जाती है।
इस बार तरबूज की फसल बढ़िया हुई है। अभी खीरा, बैगन, लौकी जैसी अनेक सब्जी खेतों में लगी है और हर दिन फसल हो रही है। इस सिंचाई का सीधा लाभ आस पास के 26 किसानों को मिल रहा है और गांव के देव रंजन, सेमलाल, दयाराम, हिरदन, शिवनारायण, सुंदर सिंह, बुद्धू, मंगल, शिवशंकर, ज्ञान सिंह, भूपेन्द्र, जगनारायण, शिवनारायण आत्मज तिलकधारी, देवनारायण, गनपत जैसे किसानों की कुल 30 एकड़ से ज्यादा भूमि अब सिंचाई सुविधा से हरी भरी हो चली है। सभी के जीवन स्तर में बदलाव आया है।
