मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने किया ‘गोधन न्याय योजना का शुभांरभ‘


  • माँ महामाया शक्कर कारखाना केरता में 20 हजार मिट्रिक टन क्षमता के शक्कर गोदाम और मोलासिस टैंक का शिलान्यास
  • वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी शामिल हुए


रायपुर । स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने आज सूरजपुर जिले के ग्राम खड़गवां कला में ‘गोधन न्याय योजना‘ का शुभारंभ किया। उन्होंने केरता के माँ महामाया शक्कर कारखाना परिसर में 20 हजार मिट्रिक टन क्षमता वाले शक्कर गोदाम और 49 लाख रूपए की लागत से निर्मित होने वाले मोलासिस टैंक का शिलान्यास भी किया। डॉ. टेकाम प्रतापपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत कोटिया में आयोजित वृक्षारोपण में शामिल हुए। उन्होंने ग्राम कोटिया में 51 लाख रूपए की लागत से निर्मित होने वाले मिनी स्टेडियम का शिलान्यास भी किया। मंत्री डॉ. टेकाम ने खड़गवां कला के क्षेत्रीय कार्यालय में किसानों से गोबर क्रय कर ‘गोधन न्याय योजना‘ का शुभारंभ किया। उन्होंने यहां पारम्परिक तौर पर कृषि उपकरण और गोवंश की विधि-विधान से पूजा की।

डॉ. टेकाम ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘गोधन न्याय योजना‘ छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना से किसानों से गोबर दो रूपए किलो की दर से खरीदा जाएगा। महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर सहकारी समिति के माध्यम से किसानों को दिया जाएगा। इस योजना से अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ खाद का उपयोग करने से खेतों की उर्वरता बढ़ेगी।

मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि गोधन न्याय योजना राज्य के ग्रामीणाों को फायदा पहुंचाने और गांव को अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का अभिनव प्रयास है। खेती-किसानी से लेकर ग्रामीण लोगों के सामाजिक आर्थिक परिवेश में भी इस योजना से सकारात्मक बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में रोका-छेका अभियान की शुरूआत किए जाने की साथ ही खुली चराई प्रथा पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है। गांव और किसानों की बेहतरी के लिए सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के संवर्धन और संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं। गांव में वर्षा जल संरक्षण के लिए नरवा (नाला) का उपचार कराए जाने के साथ ही पशुओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण कराया जा रहा है।

 गौठानों में किसानों और पशुपालकों पशुधन के रखरखाव एवं उनके चारे-पानी का बेहतर प्रबंध किए जाने के साथ ही महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से विभिन्न आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। घुरवा कार्यक्रम के तहत गांव में नाडेप और वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन की ओर ग्रामीणों एवं किसानों का रूझान बढ़ा है। राज्य में निर्मित गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन भी किया जा रहा है। बाड़ी विकास कार्यक्रम से गांव में सब्जी-भाजी के उत्पादन को बढ़ावा मिला है। महिला समूह अब सामूहिक रूप से सब्जी उत्पादन के कार्य से जुड़े हैं। इन योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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