नई दिल्ली। हॉकी इंडिया ने बुधवार को कहा कि वह 2021 से राष्ट्रीय चैंपिनशिप के प्रारुप में बदलाव करेगा जिसका उद्देश्य खिलाडिय़ों की भागीदारी बढ़ाना और राज्यों में खेलों को विकसित करना है।
यह फैसला हॉकी इंडिया के कार्यकारी बोर्ड ने लिया है। जिन टूर्नामेंटों में बदलाव किया जाएगा उनमें हॉकी इंडिया के पंजीकृत राज्य संघ इकाई के महिला और पुरुषों के सब जूनियर, जूनियर और सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप शामिल हैं। बदले प्रारुप के अनुसार खिलाड़ी किसी एक इवेंट में ही अपनी टीम का नेतृत्व कर सकता है। हॉकी इंडिया ने बयान जारी कर कहा कि एखिलाड़ी आयु वर्ग के अनुसार किसी एक इवेंट में भाग ले सकेंगे जैसे सब जूनियर, जूनियर या सीनियर श्रेणी में जिससे ज्यादातर एथलीट भारत के शीर्ष घरेलू टूर्नामेंट में भाग ले सकें। बयान में कहा गया है कि हॉकी राष्ट्रीय चैंपियनशिप के क्वालीफिकेशन प्रक्रिया के लिए सभी राज्य संघों को सभी वर्गों में राज्य स्तरीय चैंपियनशिप कराना अनिवार्य होगा।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष मोहम्मद मुश्ताक ने बताया कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप में ए और बी डिविजन के विभिन्न आयु वर्ग के लिए पहले के नियम अब लागू नहीं होंगे। अहमद ने कहा कि ए और बी डिवीजन की पिछली प्रणाली अब लागू नहीं होगी, लेकिन इसके बजाय वार्षिक राष्ट्रीय चैंपियनशिप को वर्गीकृत किया गया है, जहां सभी राज्य इकाइयां पुरुषों और महिलाओं के लिए सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर आयु-समूहों में प्रतिस्पर्धा करेंगी। उन्होंने कहा कि सभी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम और विभागीय इकाइयाँ एक अलग श्रेणी में आएंगी और जूनियर और सीनियर श्रेणी (पुरुष और महिला) में एक दूसरे के बीच प्रतिस्पर्धा करेंगी। अकादमी सदस्य इकाई की तीसरी श्रेणी वाले पुरुष और महिला सब जूनियर और जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप से प्रतिस्पर्धा करेंगे। अहमद ने बताया कि इस प्रारुप को बदलने का उद्देश्य अधिक से अधिक राज्यों, संस्थागत इकाईयों और अकादमी सदस्यों को प्रोत्साहित करना है जिससे वे हॉकी को अपने-अपने क्षेत्रों में विकसित कर सकें। हालांकि टूर्नामेंट की नीति और दिशार्निर्देश समान रहेंगे और सभी राष्ट्रीय चैंपियनशिप नॉक आउट आधार पर खेली जाएगी। टूर्नामेंटों का आयोजन अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के नए नियमों के अनुसार होगा।
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