रामगढ़-महेशपुर और सीतामढ़ी हरचौका पर्यटन केन्द्र के रूप में होंगे विकसित : मुख्य सचिव

  • मण्डल ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ किया स्थल निरीक्षण
  • मुख्यमंत्री श्री बघेल के मार्गदर्शन में राम वनगमन पथ को पर्यटन परिपथ के रूप में किया जा रहा है विकसित

रायपुर ।  विश्व की प्राचीनतम गुफा नाट्यशाला के रूप में विख्यात सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखण्ड स्थित रामगढ़ तथा पुरातात्विक स्थल महेशपुर और कोरिया जिले के भरतपुर विकासखण्ड अंतर्गत सीतामढ़ी हरचौका शिव मंदिर को राज्य सरकार द्वारा राम वनगमन पथ पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस कड़ी में आज प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सरगुजा जिलेे के रामगढ़ एवं महेशपुर और कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका का दौरा कर स्थल का जायजा लिया और पर्यटन विकास की संभावनाओं पर चर्चा कर आवश्यक मार्गदर्शन दिए। उन्हांेने इन दोनों स्थलों तक पर्यटकों के पहुंचने, ठहरने, खाने-पीने और मनोरंजन के साधन विकसित करने की कार्ययोजना शीघ्र तैयार करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। इस दौरान प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, पर्यटन सचिव श्री अंबलगन पी., पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा श्री रतनलाल डांगी, कलेक्टर सरगुजा डॉ. सारांश मित्तर, पुलिस अधीक्षक श्री आशुतोष सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

मुख्य सचिव श्री मण्डल ने रामगढ़ की पहाड़ी पर स्थित सीताबेंगरा तथा जोगीमारा गुफा का अवलोकन किया। उन्होंने यहां के ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक सौन्दर्य की सराहना करते हुए इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने क्षेत्र के प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर रामगढ़ महोत्सव स्थल के सौन्दर्यीकरण के साथ ही पर्यटकों के लिए सुविधाओं के विस्तार के निर्देश दिए। उन्होंने रंेड नदी तट स्थित महेशपुर पुरातात्विक स्थल में नदी तट पर वाटर फ्रंट डेवलपमेंट करने और 20 कॉटेज की सुविधा विकसित करने को कहा है। श्री मण्डल ने दोनों ही स्थलों को पर्यटन का प्रमुख केन्द्र बताते हुए कहा कि राज्य शासन द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार राम वनगमन पथ को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने स्थानीय नागरिकों के भी सुझाव लिए।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश में राम वनगमन के दौरान करीब 51 ऐसे स्थल हैं जहां श्री राम ने कुछ समय बिताया था। इसे राम वनगमन पथ के रूप में विकसित किए जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। योजना के प्रथमचरण के तहत सरगुजा जिले के रामगढ़ सहित 9 केन्द्र शामिल हैं। इन स्थलों पर पर्यटक सुविधा केन्द्र, वैदिक विलेज, पैगोड़ा, वेटिंग शेड, पेयजल, सीटिंग बेंच, हॉटल, वाटरफ्रंट विकास आदि विकसित किए जाएंगे। रामगढ, सरगुजा के ऐतिहासिक स्थलों में सबसे प्राचीन है। इसे रामगिरि कहा जाता है। रामगढ़ भगवान राम एवं महाकवि कालिदास से सम्बधित होने के कारण शोध का केन्द्र बना हुआ है। प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान श्री राम पत्नी सीता तथा भाई लक्ष्मण के साथ वनवास काल में कुछ समय रामगढ़ की पहाडी में बिताए थे। यहीं पर राम के तापस वेश के कारण जोगीमारा, सीता के नाम पर सीता बेंगरा एवं लक्ष्मण के नाम पर लक्ष्मण गुफा स्थित है। रामगढ़ से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महेशपुर की मान्यता है कि यह वनस्थली महर्षि जमदग्नि की तपोभूमि थी। वनवास के दौरान भगवान राम महर्षि जमदग्नि के आश्रम आए थे। इसी प्रकार मान्यता है कि महाकवि कालिदास ने मेघदूतम की रचना रामगढ़ की पहाड़ी पर की थी। रामगढ़ के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा यहां प्रतिवर्ष आषाढ़ के प्रथम दिवस में रामगढ़ महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य श्री राजनाथ सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित थे।

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