शाहीन बाग: नवजात की मौत पर वीरता पुरस्कार विजेता बच्ची ने लिखा पत्र


नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय राजधानी के शाहीन बाग इलाके में पिछले करीब डेढ़ माह से चल रहे धरना प्रदर्शन को समाप्त कराने संबंधी याचिका पर जहां शुक्रवार को सुनवाई करेगा, वहीं बीते दिनों धरनास्थल पर चार माह की एक नवजात बच्ची की मौत के मद्देनजर धरना प्रदर्शन में बच्चों को शामिल नहीं किये जाने को लेकर दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता 10 वर्षीया जेन गुणारत्न सदावर्ते ने मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे को पत्र लिखकर इस तरह के धरना प्रदर्शन में बच्चों को शामिल नहीं किये जाने को लेकर दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है। ज्ञातव्य है कि गत शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे धरने में बीते 30 जनवरी की रात चार माह के नवजात बच्चे की मौत हो गयी थी।
सदावर्ते एक बहादुर बच्ची है, जिसने इसी साल 'राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारÓ जीता है। सदावर्ते को मुंबई के क्रिस्टल टॉवर में लगी आग से 17 लोगों की जान बचाने के लिए 'राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारÓ से सम्मानित किया गया है। जब क्रिस्टल टॉवर में आग लगी थी तब इस 10 साल की बच्ची ने बहुत हिम्मत और सूझबूझ दिखाकर 17 लोगों की जान बचाई थी। इस बीच, न्यायालय ने नंद किशोर गर्ग की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। उन्होंने मामले की त्वरित सुनवाई के लिए कल मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष विशेष उल्लेख किया था, जिसने याचिकाकर्ता को मेंशनिंग रजिस्ट्रार के समक्ष जाने को कहा था। श्री गर्ग के रजिस्ट्रार के समक्ष विशेष उल्लेख करने के बाद याचिका की सुनवाई के लिए अब सात फरवरी को सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख मुकर्रर की गयी है।
याचिका में मांग की गयी है कि शाहीनबाग में जारी प्रदर्शन को हटाया जाए, ताकि कालिंदी कुंज और शाहीनबाग का रास्ता फिर से खुल सके। इसके लिए न्यायालय केंद्र सरकार और संबंधित विभाग को आदेश दे। याचिका में यह भी मांग की गई है कि सार्वजनिक स्थलों पर धरना प्रदर्शन को प्रतिबंधित करने के लिए न्यायालय केंद्र सरकार को दिशानिर्देश जारी करने का आदेश दे। कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग बंद होने से यात्रियों के लिए होने वाली बड़ी असुविधा का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि लोग डीएनडी फ्लाईओवर और आश्रम जैसे वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करने को मजबूर हैं, जिसके कारण यात्रियों का बहुमूल्य समय और ईंधन की बर्बादी हो रही है।

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