बच्चों को जीवन कौशल स्कूली शिक्षा के दौरान ही दिए जाने चाहिए

शिक्षकों ने सीखी जीवन कौशल विकास की अवधारणा

रायपुर। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 10 जीवन कौशल बताए गये है। बच्चों को जीवन कौशल स्कूली शिक्षा के दौरान ही दी जानी चाहिए। यह जानकारी कार्यशाला में प्रशिक्षण देने आए हरियाणा की अपराजिता के मैनेजर भारत भूषण ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद रायपुर में जीवन कौशल से संबंधित शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए दी। प्रशिक्षण में प्रदेश के लगभग 100 टीचरों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन अपराजिता फाउंडेशन की ओर से दो बैच में किया गया। कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों से चर्चा में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से बताए गए जीवन कौशल को आधार बनाते हुए अपराजिता फाउडेंशन ने सैकडों से अधिक वीडियो कार्यक्रम बनाए है। इनमेें अनेक जीवन कौशलों के विकास की प्रक्रिया और उनके प्रयोग करने की विधि सुझाई गई है। उन्होंने बताया कि अपराजिता फाउेंडशन के जीवन कौशल का यह कार्यक्रम हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, झारखंड, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान आदि में संचालित हुआ है। जिसके बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आए है।
समग्र शिक्षा के सहायक संचालक डॉ. एम. सुधीश ने बताया कि जीवन कौशल में वह योग्यताएं निहित है जो हर व्यक्ति के भीतर विकसित होनी चाहिए। यह व्यक्ति को जीवन की चुनौतियों का सामना करने और स्वस्थ, प्रसन्न, रचनात्मक तथा संतुष्ट जीवन के अवसरों की आशा जगाने के लिए समर्थ बनाती है। जीवन कौशलों को प्रभावी रूप से शैक्षिक प्रक्रमों के साथ एकीकृत कर ही इसको सही अर्थो में लागू कर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

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