शाहीन बाग में पत्रकारों पर माहौल बिगाडऩे का आरोप

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि दो निजी चैनल के वरिष्ठ पत्रकारों ने यहां के शांतिपूर्ण माहौैल को बिगाडऩे का प्रयास किया लेकिन लोगों ने उन्हें बैरंग लौटा दिया प्रदर्शन का संचालन करने वालों में एक महिला हिना अहमद ने यूनीवार्ता को बताया कि आज दोपहर तीन बजे के करीब वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया और सुधीर चौधरी कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ प्रदर्शन स्थल की तरफ आने की कोशिश करने लगे लेकिन वहां मौजूद महिलाओं ने उन्हें बैरिकेट से पीछे ही रोक दिया। उन्होंने बताया कि इन दोनों पत्रकारों के साथ न्यू फ्रेंड्स कालोनी के एसीपी तथा दो तीन थानों के एसएचओ प्रदर्शन स्थल की ओर आने की कोशिश कर रहे थे।
श्रीमती अहमद ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को उकसाने के मन से से दोनों पत्रकार यहां आ रहे थे लेकिन महिलाओं के विरोध के कारण दोनों को वापस जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी दीपक चौरसिया यहां आये थे तब भी हंगामा हुआ था। उस समय भी चौरसिया ने अपने साथ मारपीट करने का आरोप लगाया था जो पूरी तरह बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में शामिल किसी ने भी किसी भी पत्रकार के साथ किसी प्रकार का बुरा बर्ताव नहीं किया है। यह आंदोलन डेढ़ महीने से यहां चल रहा है और हर दिन कई पत्रकार यहां आते हैं। सिर्फ चौरसिया के साथ बदसलूकी का मामला किसी साजिश की ओर इशारा करता है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें प्रदर्शन स्थल की तरफ बड़ी संख्या में महिलाएं गोदी मीडिया गो बैक के नारे लगा रही है और दूसरी तरफ पुलिस के साथ दोनों पत्रकार और कैमरा मैन खड़े थे।  सुधीर चौधरी ने ट्वीट कर कहा 'आज मैं और दीपक चौरसिया शाहीन बाग गए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हमें शाहीन बाग में आने की अनुमति नहीं हैं। रोकने के लिए पहली पंक्ति में महिलाओं को खड़ा कर दिया। पुरुष पीछे खड़े हो गए। नारेबाज़ी हुई। राजधानी में ये वो जगह है जहां पुलिस भी नहीं जा सकती। लोकतंत्र का मज़ाक़ है यह।Ó
गौरतलब है कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने से शाहीन के कालिंदी कुंज मार्ग पर दिन रात आंदोलन चल रहा है जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। यहां के प्रदर्शन का संचालन भी महिलाएं कर रही हैं। दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारी यहां से हिलने को तैयार नहीं हैं। दक्षिणी दिल्ली को नोएडा से जोडऩे वाले इस मार्ग के बंद होने से जहां आसपास के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं मथुरा रोड तथा आसपास की सड़कों पर दिनभर लंबा जाम लगा रहता है। 

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