चीन ने दिया अमेरिका को झटका, वापस बुला लिए 16 हजार वैज्ञानिक

नई दिल्ली। इन दिनों चीन में चल रही है 'घर वापसी. ये घर वापसी है चीन के उन वैज्ञानिकों की जो अमेरिका और अन्य देशों में काम कर रहे हैं. चीन के वैज्ञानिकों के लौ़टने के पीछे का मकसद ये है कि वे अपने देश को विज्ञान के क्षेत्र में ज्यादा ताकतवर बना सकें. ये खुलासा हुआ है अमेरिका की ओहायो यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में। ओहायो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार अब देश से 16 हजार से अधिक ट्रेन्ड चीनी वैज्ञानिक अपने देश लौट चुके हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में 4500 चीनी वैज्ञानिकों से अमेरिका को छोड़ा था. यह संख्या 2010 की तुलना में दोगुनी थी. धीमे-धीमे सभी चीनी वैज्ञानिक अमेरिका व अन्य देश छोड़कर चीन जा रहे हैं. क्योंकि चीन उन्हें कई सुविधाएं दे रहा है. चीन विदेशों से आने वाले अपने वैज्ञानिकों को बड़े प्रोजेक्ट्स में शामिल कर रहा है. साथ ही इंटरनेशनल कॉर्डिनेशन के तहत कई साइंटिफिक योजनाएं चला रहा है. जिसका फायदा चीनी वैज्ञानिकों को मिल रहा है. चीन साथ ही अपने वैज्ञानिकों के सारी जरूरी सुविधाएं दे रहा है. वैसी सुविधाएं जो दूसरे देशों में मिलती हैं. अमेरिका में एशिया से जाकर काम करने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या बहुत ज्यादा है. वहां काम कर रहे 29.60 लाख एशियाई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों में 9.50 लाख भारतीय हैं. ओहायो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कैरोलिन वैगनर ने कहा कि चीन के वैज्ञानिकों का पलायन चिंता का विषय है. इसे रोकना होगा. नहीं तो अमेरिकी विज्ञान पर बुरा असर पड़ेगा. प्रोफेसर कैरोलिन वैगनर ने बताया कि चीन के वैज्ञानिक कई विषयों में महारथी हैं. आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस और मटेरियल साइंस में इनका कोई सानी नहीं है. यही वजह है कि 2016 में सबसे ज्यादा साइंस जरनल चीन में पब्लिश हुए, इसकी तो पुष्टि अमेरिका नेशनल साइंस फाउंडेशन ने की है. अगर अंतरराष्ट्रीय जानकारों की बात माने तो चीन की सरकार ने पिछले कुछ सालों में विज्ञान में होने वाले रिसर्च के बजट को 10 गुना बढ़ा दिया है. वर्ष 2019 में चीन ने रिसर्च पर 3.75 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इस वजह से भी चीन के वैज्ञानिक अपने देश में ही अपना बेहतर भविष्य देख रहे हैं.

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