डीकेएस अस्पताल में बढ़ती ओपीडी एवं सर्जरी की संख्या लोगों के विश्वास एवं संतुष्टि का फल-सिंहदेव


रायपुर । लोक स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि राजधानी रायपुर स्थित शासकीय दाऊ कल्याण सिंह सुपरस्पेशयलिटी (डीकेएस) अस्पताल में दिन प्रतिदिन  बढ़ती ओपीडी एवं सर्जरी की संख्या लोगों के विश्वास एवं संतुष्टि का फल है। कांग्रेस सदस्य डा. विनय जायसवाल ने  अपने ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम सदन में डीकेएस अस्पताल एवं डा. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि भारी भरकम व्यय कर डीकेएस अस्पताल को बनाया गया है और अंबेडकर अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग को जबरन यहां शिफ्ट किया गया है।  उन्होंने यह भी कहा कि यहां मरीजों को सुविधा भी नहीं मिल रही है। इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि डीकेएस अस्पताल के निर्माण में बड़ी लागत नहीं लगी है, और न ही अंबेडकर अस्पताल के न्यूरो विभाग को जबरन यहां शिफ्ट किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डीकेएस अस्पताल में न्यूरोसर्जरी, बर्न प्लास्टिक, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, कार्डियोलॉजी जैसे पूर्ण रूप से सुसज्जित सुपरस्पेशियलिटी विभाग अत्याधुनिक मशीनों के साथ उच्च कोटि का उपचार प्रदेश की जनता को उपलब्ध करा रहे हैं। राज्य शासन के महत्वकांक्षी स्वास्थ्य योजना के तहत विभिन्न सुपरस्पेशियलिटी विभागों को उत्कृष्ठ स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दृष्टि से एक ही छत के नीचे लाने का प्रयास किया गया है तथा 450 सुपरस्पेशिलिटी बेड इस अस्पताल में उपलब्ध कराया गया है जो अंबेडकर अस्पताल में संभव नहीं था। 
कांग्रेस सदस्य डा. जायसवाल द्वारा डीकेएस अस्पताल में एक महिला मरीज का समय पर इलाज नहीं किए जाने को लेकर लगाए गए आरोप पर श्री सिंहदेव ने स्वीकार किया कि नवंबर 2018 के प्रथम सप्ताह में डब्ल्यूआरएस कालोनी में निवासरत युवती भगवती की रेल दुर्घटना के पश्चात अंबेडकर अस्पताल 108 एम्बुलेंस के द्वारा लाया गया था। लेकिन उन्होंने इससे इंकार किया कि युवती ईलाज के अभाव में तड़पती रही तथा उसे प्रारंभिक चिकित्सा भी समय पर प्राप्त नहीं हो सकी, अपितु मरीज के अलग हुए पैरों को जोड़े जाने की दृष्टि से एडवांस लाईफ सपोर्ट में मेडिकल टीम के साथ डी.के.एस. अस्पताल भेजा जहां सुपरस्पेशलिटी विशेषज्ञों द्वारा भगवती के परीक्षण किया गया तथा दोनों पैर घुटने के नीचे से क्षति-विक्षत होकर अलग होने के कारण सर्जरी के द्वारा जोड़ा जाना संभव नहीं होना पाया गया। अत: एम्पुटेशन करके जान बचाने की दृष्टि से तथा अत्यधिक रक्तस्त्राव की भरपाई के लिए अंबेडकर अस्पताल के ट्रामा यूनिट में भर्ती किया गया। उन्होंने इससे भी इंकार किया है कि मरीज भगवती को अनावश्यक अंबेडकर अस्पताल से डी.के.एस. अस्पताल एवं पुन: अंबेडकर अस्पताल भेजा गया, बल्कि मरीज की प्राणरक्षा के लिए पैसा किया जाना आवश्यक था। यह कहना कदापि सही नहीं है कि मरीज के कटे पैर को उसके बिस्तर मे ही रखा गया तथा जोडऩे का प्रयास भी नहीं किया गया, अपितु मेडिकोलीगल एविडंस के लिए अलग हुए पैर, मरीज के पास रखा जाना आवश्यक था तथा चिकित्सकीय नियमों के अनुसार मरीज तथा उसके रिश्तेदारों की अनुमति के बिना उसे हटाया नहीं जा सकता था। डी.के.एस. अस्पताल में 400 से अधिक सुपरस्पेशियलिटी बिस्तर उपलब्ध हैं तथा प्रतिदिन 100 से 120 मरीज भर्ती होते हैं जिनमें न्यूरोसर्जरी, बर्न प्लास्टिक, यूरोलाजी, नेफ्रोलाजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, कार्डियोलॉजी के मरीज शामिल हैं। डी.के.एस. अस्पताल के प्रति बढ़ती हुई विश्वास एवं संतुष्टि का ही फल है कि आई.पी.डी. और ओ.पी.डी. एवं सर्जरी की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। अत: यह कहना कदापि सही नहीं है कि सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में व्यापक सुविधा न होने तथा अंबेडकर चिकित्सालय की सुविधा उक्त अस्पताल हेतु छिने जाने से मरीजों में रोष एवं आक्रोश व्याप्त हैं, अपितु डी.के.एस. अस्पताल में उपलब्ध उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं का राज्य की जनता के द्वारा भरपूर उपयोग किया जा रहा है तथा लोगों में हर्षव्याप्त है।

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