डॉ. डहरिया ने कहा कि समाज में एकता के साथ सामाजिक सहभागिता से समाज का निरंतर विकास होता है। समाज के विकास के लिए संस्थाएं और समिति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन उद्देश्य एक होना चाहिए। समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति जब शैक्षणिक और आर्थिक रूप से सम्पन्न होगा तब समाज भी मजबूत होगा। समाज का नेतृत्व करने के लिए प्रबुद्ध लोगों को सामने आना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करना चाहिए। अन्य समाजों से भी प्रेरणा लेना चाहिए। सामजिक कुरीतिंयों को त्याग कर समाज के सभी लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाए, जिससे समाज सहीं दिशा में आगे बढ़ सके। उन्होंने पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को व्यापार-व्यवसाय के क्षेत्र में आगे आना चाहिए। कम शिक्षित युवाओं को कौशल उन्नयन योेजना के तहत विभिन्न ट्रेडों (व्यवसायों) में प्रशिक्षण प्राप्त कर लघु उद्योग स्थापित कर आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। डॉ. डहरिया ने समाज के विकास के लिए राज्य सरकार की ओर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। कार्यक्रम में गुरू घासीदास सांस्कृति एवं साहित्य समिति के अध्यक्ष श्री के. पी. खाण्डे, डॉ. जे. आर. सोनी, श्री डी.एस. पात्रे, श्री चेतन चंदेल, श्री सुंदर लाल जोगी, श्रीमती सकुन डहरिया, गिरिजा पाटले, धनेश्वरी डांडे, चंपा गेंदले, उषा चतुर्वेदानी, घासीदास कोशले, अमृत लाल जोशी, उतित भरद्वाज, डी.आर. बाघमारे, सकुन्तला डेहरे, खेदू बंजारे, बाबा डहरिया, किरपा चतुर्वेदी और डी.डी. भारती सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।