भाजपा की चलाचली की बेला में सवर्णो को आरक्षण राजनीतिक छलावा: मायावती


लखनऊ  । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर सवर्ण समाज को दस प्रतिशत आरक्षण दिये जाने को राजनीतिक छलावा बताते हुये कहा कि चलाचली की बेला में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार का यह फैसला चुनावी स्टंट के अलावा कुछ और नहीं है।
सुश्री मायावती ने मंगलवार को यहां जारी बयान में कहा कि देश के ग़रीब सवर्णों को भी आरक्षण की सुविधा दिये जाने की मांग बसपा ने की थी। उन्होंने कहा भाजपा सरकार की चलाचली की बेला में यह फैसला लिया गया है। यह पूरी तरह से राजनीतिक छलावा तथा चुनावी स्टण्ट है।
केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर सवर्ण समाज को दस प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के कैबिनेट के फैसले का स्वागत करते हुये उन्होंने कहा कि लोकसभा आमचुनाव से ठीक पहले भाजपा सरकार का यह फैसला वास्तव में सही नीयत से नही लिया गया है। अच्छा होता कि यह फैसला पहले लिया गया होता ताकि भाजपा सरकार को इसे सही ढंग से अमल करके गरीब सवर्णों को इसका लाभ देने के लिये संसद तथा संसद के बाहर न्यायालय में भी मार्ग प्रशस्त करके दिखाती। उन्होंने कहा कि बसपा इस सम्बंध में लाये जाने वाले संविधान संशोधन विधेयक का जरूर समर्थन करेगी।
सुश्री मायावती ने कहा कि बसपा गरीब सवर्णाें के साथ-साथ मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के गरीबोें को भी इसी तरह से आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने की माँग काफी लम्बे समय से करती चली आ रही है। भाजपा ने अन्य गरीबों की उपेक्षा करते हुये उनके साथ न्याय करने का प्रयास नहीं किया है जो अति-दुःखद एवं निन्दनीय है।
वास्तव में देश में एस.सी./एस.टी़ तथा ओबीसी वर्गों को मिल रहे आरक्षण की पुरानी व्यवस्था की अब समीक्षा करके इन वर्गों को इनकी बढ़ी हुई आबादी के हिसाब से समुचित आरक्षण दिये जाने की सख़्त ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि संविधान में सामाजिक, शैक्षणिक व अर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछडे वर्गों को आरक्षण दिये जाने की जो वर्तमान व्यवस्था है। देश की जनसंख्या के साथ ही इन वर्गों की जनसंख्या भी अब काफी ज्यादा बढ़ बई है। उस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया है। अब इस बात की भी आवश्यकता है कि एस.सी./एस.टी. तथा ओबीसी वर्गों को मिलने वाले आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा की सही नीयत के साथ समीक्षा की जाये। उन्हें इनकी बढ़ी हुई आबादी के अनुपात में आरक्षण को भी समुचित तौर पर बढ़ाकर दिये जाने की नई संवैधानिक व्यवस्था की जाये।

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