हालांकि, चौहान को अपनी कुछ टिप्पणियों से नुकसान भी उठाना पड़ा है। उनकी एक टिप्पणी से बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक रही ऊपरी जातियां और ओबीसी गुस्से में थे। चुनाव प्रचार से जुड़े रहे बीजेपी के एक नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रभाव समाप्त करने के लिए एससी/एसटी ऐक्ट ऑर्डिनेंस को लाने को लेकर भी ये जातियां नाराज थी। उनका कहना था, 'राम मंदिर को लेकर बीजेपी कहती है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे। लेकिन एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वह एक ऑर्डिनेंस के जरिए पलट देती है। लोगों ने इसी को लेकर सवाल उठाया था।'
हालांकि, चौहान ने अपनी ओर से इस नाराजगी को कम करने की कोशिश की थी और चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को आश्वासन दिया था कि उपयुक्त जांच के बिना एससी/एसटी मामलों में कोई गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। बीजेपी नेता ने कहा, 'चौहान ने अपनी पूरी कोशिश की थी। हमने जो सीटें जीती हैं वे उनकी वजह से हैं।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में केवल 10 रैलियां की थी और चुनाव प्रचार चौहान के चेहरे पर ही केंद्रित था। चौहान ने चार महीने के प्रचार के दौरान पूरे राज्य का दौरा किया था और अपनी जन आशीर्वाद यात्रा और रैलियों के दौरान प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लगभग दो बार गए थे। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि तीन बार के मुख्यमंत्री के तौर पर चौहान के प्रदर्शन और उनकी ओर से शुरू की गई योजनाओं और कार्यक्रमों की बराबरी करना कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में नए मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल होगा। हालांकि, कांग्रेस ने चौहान की लगातार आलोचना करते हुए उन्हें केवल घोषणाएं करने वाला मुख्यमंत्री बताया था। कांग्रेस का कहना था कि चौहान की योजनाएं केवल कागजों पर रहती हैं और उन्हें वास्तव में लागू नहीं किया जाता।