कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जीता पर सीएम के सवाल पर हाइकमान को टेंशन


नई दिल्ली । कांग्रेस ने हिंदी हार्टलैंड के तीन अहम राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने में सफलता हासिल कर ली है। लेकिन केवल जीत भर से कांग्रेस की चुनौती खत्म होती नहीं दिख रही है। कांग्रेस हाइकमान के सामने सबसे बड़ी दुविधा इन प्रदेशों में सीएम के चेहरे की घोषणा की है। राजस्थान में जहां सचिन पायलट और अशोक गहलोत की खेमेबाजी सामने आ रही है तो मध्य प्रदेश में कमलनाथ व ज्योतिरादित्य के बीच प्रेशर पॉलिटिक्स की सूचना है। उधर, छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव जैसे कद्दावर नेताओं की दावेदारी भी पार्टी में विवाद की वजह बन सकती है। 
 
कांग्रेस के लिए सीएम के चेहरे का चुनाव किस कदर कठिन हो सकता है, बुधवार को राजस्थान में इसकी एक झलक देखने को मिली है। राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाहर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के समर्थकों की नारेबाजी सामने आई है। युवा जोश जहां सचिन के लिए लामबंद होता दिख रहा है, वहीं राजस्थान में गहलोत की मजबूत छवि स्वाभाविक दावेदारी पेश कर रही है। कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल को एआईसीसी का पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है। अब उनके ऊपर इस मामले को सुलझाने का जिम्मा है।

क्या वरिष्ठ गहलोत बाजी मार जाएंगे?
राजनीति के गलियारों में गहलोत की पहचान पार्टी के अंदर और बाहर, दोनों ही जगहों पर तगड़ा मैनेजमेंट करने वाले के रूप में है। गहलोत की पार्टी पर पकड़ भी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार गहलोत इस समय अध्यक्ष राहुल गांधी के करीब भी नजर आ रहे हैं। ऐसे में एक तबके का मानना है कि गहलोत को उनके लंबे राजनीतिक सफर का फायदा मिल सकता है। हालांकि एक दूसरे और खासकर पार्टी के युवा धड़े की राय इससे अलग है। सचिन पायलट के लिए तर्क दिए जा रहे हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति का मोह त्याग कर संकट के समय राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला। जमीन पर मेहनत की और मोदी ब्रैंड के बावजूद बीजेपी को राजस्थान में पछाड़ने लायक सांगठनिक ताकत तैयार की।

ऐसे में सचिन की दावेदारी भी मजबूत बताई जा रही है। बता दें कि राजस्थान की कुल 200 में से 199 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी को 73 और बाकी को 25 सीटें मिली हैं। बीएसपी (6) और आरएलडी (1) ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि गहलोत और सचिन, दोनों का ही दावा है कि हाइकमान और विधायक दल ही अंतिम फैसला लेंगे लेकिन दबाव की राजनीति भी इसके साथ-साथ चल रही है।

मध्य प्रदेश में दिग्गी का हाथ कमलनाथ के साथ?
मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर उन्होंने अपने 121 विधायकों की सूची सौंप दी है। बता दें कि एमपी में कांग्रेस को 114, बीएसपी को 2, एसपी को 1 और निर्दलीय विधायकों को 4 सीट पर जीत मिली है, जबकि बीजेपी को 109 सीटें मिली हैं। बता दें कि बुधवार को भोपाल में कांग्रेस के सीएम चेहरे को लेकर हलचल तेज हो गई है। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के समर्थक सड़क पर भी उतरे हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने भी कमलनाथ से मुलाकात की है।

इस मुलाकात के बाद ऐसी चर्चाएं शुरू हो गईं है कि दिग्विजय ने कमलनाथ के नाम को एक तरह से अपना समर्थन दिया है। चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य के बीच तनातनी की खबरें भी सामने आई थीं। हालांकि दोनों नेताओं ने इस तरह की सभी खबरों का खंडन किया था। राज्यपाल से मिलने वाले नेताओं में कमलनाथ और दिग्विजय के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल रहे। मुलाकात के बाद कमलनाथ और दिग्विजय ने लोगों के सामने विक्ट्री साइन भी बनाया पर इससे राह आसान नहीं हुई है।

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल या टीएन सिंहदेव?
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 15 सालों बाद बड़ी जीत लेकर सत्ता में लौटी है। इस जीत के बाद यहां भी सीएम पद की रेस शुरू हो गई है। टॉप में दो नाम हैं। एक प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और दूसरे कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव। पहले बात करें बघले की तो इनका विवादों से भी गहरा नाता रहा है। पिछले वर्ष सेक्स सीडी कांड के बाद बघेल अचानक विवादों में आए थे और जेल भी जाना पड़ा था। फिलहाल कांग्रेस की वापसी में बघेल का भी बड़ा योगदान है और ऐसे में सीएम रेस में वह भी आगे दिख रहे हैं।

वहीं 'टीएस बाबा' के नाम से मशहूर त्रिभुनेश्वर शरण सिंहदेव छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर उम्मीदवार के रूप में ख्याति हासिल करने वाले नेता हैं। टीएस सिंहदेव सरगुजा के राज परिवार से संबंध रखते हैं। ऐसे में इनकी दावेदारी भी काफी मजबूत दिख रही है। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष चरण दास महंत का नाम भी चर्चा में है। 

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