नई दिल्ली। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद शुक्रवार को आए
एग्जिट पोल्स से बहुत मिले-जुले संकेत मिले हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इन
राज्यों में विजय पताका लहराने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने कोई कसर नहीं
छोड़ी है। ऐसे में ये नतीजे 2019 के चुनाव की दिशा और जनता का मिजाज भी
सामने रखेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने
चुनावी राज्यों में जमकर प्रचार किया था। अब यह समझना महत्वपूर्ण है कि अगर
11 दिसंबर को इसी तरह से नतीजे आते हैं तो उसके संकेत, प्रभाव अैर असर
क्या होंगे।
1. राहुल गांधी की पहली बड़ी सफलता
कांग्रेस
अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए पहली बार एग्जिट पोल्स में बीजेपी के सामने
बड़ी सफलता मिलने का अनुमान है। अगर 11 दिसंबर को यही नतीजे रहे तो राहुल
गांधी को आम चुनाव से ठीक पहले सफलता का टॉनिक मिलेगा, जिसकी कांग्रेस को
सख्त जरूरत थी। इससे 2019 से पहले राहुल स्थापित होंगे और विपक्षी दलों के
बीच उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। हालांकि कांग्रेस एमपी, राजस्थान और
छत्तीसगढ़ में आसानी से बढ़ती नहीं दिख रही है क्योंकि कांग्रेस के पास
सीएम पद के चेहरे नहीं थे जबकि बीजेपी के पास चेहरे होने की वजह से उसे
फायदा मिला।
2. तेलंगाना में गठबंधन का प्रयोग विफल
तेलंगाना
में कांग्रेस ने टीआरएस के खिलाफ बड़ा गठबंधन बनाया। इसमें चंद्रबाबू नायडू
की अगुआई वाली टीडीपी भी थी। गठबंधन ने बहुत हाई वोल्टेज प्रचार किया
लेकिन नतीजे यही रहे तो गठबंधन के प्रयोग पर सवाल होगा। 2019 से पहले आम
चुनाव में इस गठबंधन के भविष्य पर भी असर पड़ सकता है। केसीआर का समय पूर्व
चुनाव कराने का दांव भी सही लगता दिख रहा है। अपरोक्ष रूप से बीजेपी भले
दौड़ में नहीं दिख रही है लेकिन टीआरएस की जीत से निराश नहीं होगी।
3. वसुंधरा के नेतृत्व पर असर
राजस्थान
में सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ नाराजगी की बात सामने आती रही है।
उन्हें हटाने की भी चर्चा हुई लेकिन केंद्रीय नेतृत्व को चुनौती देते वह
जमी रहीं। टिकट वितरण में भी उनकी चली। प्रदेश अध्यक्ष भी अपने हिसाब से तय
किया लेकिन जिस तरह एग्जिट पोल्स के नतीजे उनके खिलाफ दिख रहे हैं, अगर
सही हुए तो उनके नेतृत्व पर सवाल उठेंगे। पार्टी उन्हें हटा भी सकती है।
वहां, गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्यवर्धन राठौर के रूप में समानांतर
नेतृत्व मौजूद है।
4. क्षेत्रीय पार्टियों का गेम नाकाम?
एग्जिट
पोल्स के संकेत बता रहे हैं कि एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों
में छोटे और क्षेत्रीय दलों को कोई बड़ी सफलता नहीं मिलेगी। हालांकि वे
कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुश्किलें जरूर खड़ी कर रहे हैं। सभी राज्यों
में कांटे की टक्कर में इनको मिला वोट किसी का गेम बना रहा है तो बिगाड़ भी
रहा है। साथ ही यह अखिलेश और मायावती के लिए भी झटका होगा, जो अंतिम समय
में कांग्रेस गठबंधन से अलग होकर लड़े।
5. क्या ऐंटी-इनकम्बैंसी भारी पड़ी?
राजस्थान
में भले ही वसुंधरा के खिलाफ लोगों की नाराजगी खुलकर दिख रही थी लेकिन
एमपी में शिवराज सिंह की लोकप्रियता बरकरार है। अगर एमपी में बीजेपी असफल
होती है तो उसका यही संदेश है कि लोगों में बदलाव की चाहत लोकप्रियता और कई
जनकल्याणकारी योजनाओं पर भारी पड़ी। तीनों राज्यों में बीजेपी को इसका
सामना भी करना पड़ा और यही एग्जिट पोल्स में कांग्रेस के पक्ष में जाता दिख
रहा है।
6. ब्रैंड मोदी पर पड़ेगा असर?
एग्जिट पोल्स के हिसाब
से नतीजे आए तो यह ब्रैंड मोदी पर भी असर डालेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने
सभी राज्यों में जाकर रैलियां कीं और राजस्थान में तो पूरा जोर लगा दिया
था। बीजेपी भी पूरे प्रचार में इसी पर फोकस कर रही थी कि 2019 में फिर से
मोदी को लाने के लिए इन राज्यों में बीजेपी की जीत जरूरी है। कांग्रेस अगर
इन राज्यों में बीजेपी को मात देने में सफल होती है तो यह मोदी की उस अजेय
इमेज को बुरी तरह तोड़ेगा जो इमेज बीजेपी दिखाने की कोशिश करती रही है।
7. संसद सत्र में विपक्ष होगा आक्रामक
एग्जिट
पोल्स के नतीजे विपक्ष के लिए ऑक्सिजन का काम कर सकते हैं। अगर यही नतीजे
आए तो संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के आक्रामक तेवर दिखेंगे। कांग्रेस
फिर से सेंटर पॉइंट में दिखेगी और विपक्षी एकता की धुरी बनने की फिर एक
कोशिश हो सकती है। राफेल से लेकर किसानों का मुद्दा और नोटबंदी से हुई
दिक्कतों पर विपक्ष सरकार की घेराबंदी कर सकता है।
8. नॉर्थ ईस्ट में सिकुड़ रही कांग्रेस
मिजोरम
के एग्जिट पोल्स के हिसाब से यह राज्य भी कांग्रेस के हाथ से खिसक रहा है।
कांग्रेस अपने किसी राज्य को बचा पाने में सफल नहीं हुई और भले ही बीजेपी
से सत्ता छीन रही हो लेकिन अपनी सत्ता बचाने में असफल होने के यह भी मायने
हैं कि कांग्रेस का नॉर्थ ईस्ट में जनाधार लगातार घटता जा रहा है।
9. बीजेपी का जवाब क्या राम मंदिर होगा?
अब
तक बीजेपी के लोग विकास के मुद्दे पर चुनाव लडऩे की बात करते रहे हैं और
लोकसभा चुनाव में इसी पर लडऩे की बात कहते हैं। हालांकि एग्जिट पोल्स सही
रहा तो बीजेपी को अपने लिए नया अजेंडा तलाशना होगा। ऐसे में बीजेपी क्या
फिर से राममंदिर पर ही उम्मीद करेगी और फिर हिंदुत्व का बिगुल बजाएगी, 11
दिसंबर को जवाब मिल जाएगा। राम मंदिर के लिए कानून पर भी उसका रुख सामने आ
सकता है। एग्जिट पोल्स के हिसाब से ही नतीजे आए तो सरकार का स्टैंड बदल
सकता है।