दुर्गम रास्ते पार करके वोट देने पहुंचे आदिवासी, 50 प्रतिशत शहरी नहीं पहुंचे मतदान केंद्र



हैदराबाद। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में शहरी क्षेत्र से महज 50 प्रतिशत लोग ही वोट देने के लिए बूथ तक पहुंचे जबकि मतदान केंद्र उनके घरों से कुछ ही कदमों की दूरी पर थे। दूसरी ओर जयाशंकर भूपलपल्ली जिले के पेनूगोलू में एक ऐसा आदिवासी गांव है जहां के लोगों को मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए दुर्गम पहाडिय़ों के बीच 16 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। इसके बावजूद इस इलाके से बड़ी संख्या में लोग मतदान केंद्रों तक पहुंचे।
56 में 50 वोटर पहुंचे मतदान केंद्र
इस इलाके के 56 वोटर में से 50 अपना वोट देने मतदान केंद्र पहुंचे। 30 साल के रवि अपनी 3 साल की बेटी को कंधे पर लादकर गांव से मतदान केंद्र तक का रास्ता तय किया। ग्रामीणों ने सुबह 8 बजे अपना सफर शुरू किया। मतदान केंद्र तक पहुंचने में उन्हें साढ़े चार घंटे लग गए। पेनूगोलू छत्तीसगढ़ से करीब है जबकि हैदराबाद से 600 किमी दूर है। तेलंगाना पुलिस के मुताबिक इस इलाके में नक्सलियों की हलचल देखी गई है पर ग्रामीणों पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
मतदाताओं में 10 वरिष्ठ नागरिक
मतदान के लिए पहुंचे आदिवासियों में 10 वरिष्ठ नागरिक थे जिन्होंने मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए रात में ही सफर शुरू कर दिया था। इन्हें पास के ही ग्रामीणों ने रात में ठहरने की जगह दी। इन ग्रामीणों में एक सहायक अध्यापक रमेश ने कहा, ' बड़े बुजुर्गों ने बताया है कि अगर हम वोट नहीं देते हैं तो सरकारी आंकड़ों में हम मृत समझा जाएगा, तो हम इसे एक परंपरा मानते हुए वोट करते हैं।
विकास की आस में आदिवासी
गांव के एक निवासी पयम नरसिम्हा राव बताते हैं, ' हमारा गांव ब्रिटिश शासन के समय से मौजूद है। साल 2009 में सरकार ने हमें जमीन देने का वादा किया पर कुछ नहीं हुआ। हम अभी भी दूसरों की जमीन पर मजदूरी करते हैं। लोकल रेवेन्यू ऑफिसर विजय लक्ष्मी ने बताया, 'नियमों के मुताबिक हम मतदाताओं के लिए खास इंतजाम नहीं कर सकते। गांव के सबसे करीब मतदान केंद्र एक स्कूल है। खास इंतजाम सिर्फ दिव्यांगों के लिए किए जा सकते हैं।

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