देहरादून। लंबे समय से मां गंगा की स्वच्छता और रक्षा की मांग कर रहे पर्यावरणविद जीडी अग्रवाल की गुरुवार को मौत हो गई। उन्?हें स्वामी सानंद के नाम से जाना जाता था। स्वामी सानंद पिछले 112 दिनों से अनशन पर थे और उन्होंने 9 अक्टूबर को जल भी त्याग दिया था। उन्होंने ऋषिकेश में दोपहर एक बजे अंतिम सांस ली। वह 87 साल के थे। सानंद गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर प्रयासरत थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिख चुके थे।
प्रफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्राणों की आहुति दे दी। स्वामी सानंद पिछले 22 जून से अनशन पर थे, उन्होंने 9 अक्टूबर को जल भी त्याग दिया था। 2011 में स्वामी निगमानंद की हिमालयन अस्?पताल जॉलीग्रांट में मौत के बाद गुरुवार की दोपहर गंगा के एक और लाल ने प्राण त्याग दिए। स्वामी सानंद के ऋषिकेश एम्स में निधन की खबर मिलते ही गंगाप्रेमियों में शोक की लहर फैल गई।
प्रफेसर जीडी अग्रवाल यानी स्वामी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम 24 फरवरी 2018 को जो खुला खत लिखा था, उसको काशी में ही सार्वजनिक किया था। इस खुले खत में अफसोस जाहिर करते हुए उन्होंने लिखा था आपकी सरकार द्वारा गंगा मंत्रालय गठन के साथ जो उम्मीदें जगी थीं, वह चार साल में धराशायी हो गई हैं, इसलिए गंगा दशहरा यानी 22 जून 2018 से हरिद्वार में निर्णायक अनशन करने का फैसला किया है।
पूर्व प्रफेसर ज्ञानस्वरूप सानंद के 9 अक्टूबर से जल का त्याग करते ही जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे और प्रशासन ने बुधवार दोपहर बाद स्वामी सानंद को जबरन अनशन से उठाते हुए उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती करा दिया था। उन्हें मातृसदन आश्रम से पुलिस और प्रशासन की टीम ने चिकित्सकों की मौजूदगी में एम्बुलेंस से ऋषिकेश एम्स भिजवाया। ऐसा करने से पहले प्रशासन ने आश्रम और उसके पास धारा 144 भी लागू कर दी थी।
प्रफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्राणों की आहुति दे दी। स्वामी सानंद पिछले 22 जून से अनशन पर थे, उन्होंने 9 अक्टूबर को जल भी त्याग दिया था। 2011 में स्वामी निगमानंद की हिमालयन अस्?पताल जॉलीग्रांट में मौत के बाद गुरुवार की दोपहर गंगा के एक और लाल ने प्राण त्याग दिए। स्वामी सानंद के ऋषिकेश एम्स में निधन की खबर मिलते ही गंगाप्रेमियों में शोक की लहर फैल गई।
मोदी को लेटर लिख सुनाई खरीखोटी
इस खत में स्वामी सानंद ने पीएम मोदी को लिखा था कि '2014 के लोकसभा चुनाव तक तो तुम भी स्वयं मां गंगाजी के समझदार, लाडले और मां के प्रति समर्पित बेटा होने की बात करते थे, लेकिन यह चुनाव मां के आर्शीवाद और प्रभु राम की कृपा से जीतकर अब तो तुम मां के कुछ लालची, विलासिता-प्रिय बेटे-बेटियों के समूह में फंस गए हो। उन नालायकों की विलासिता के साधन (जैसे अधिक बिजली) जुटाने के लिए, जिसे तुम लोग विकास कहते हो, कभी जलमार्ग के नाम से बूढ़ी मां को बोझा ढोने वाला खच्चर बना डालना चाहते हो।प्रफेसर जीडी अग्रवाल यानी स्वामी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम 24 फरवरी 2018 को जो खुला खत लिखा था, उसको काशी में ही सार्वजनिक किया था। इस खुले खत में अफसोस जाहिर करते हुए उन्होंने लिखा था आपकी सरकार द्वारा गंगा मंत्रालय गठन के साथ जो उम्मीदें जगी थीं, वह चार साल में धराशायी हो गई हैं, इसलिए गंगा दशहरा यानी 22 जून 2018 से हरिद्वार में निर्णायक अनशन करने का फैसला किया है।
स्वामी सानंद ने अपना शरीर एम्स को दान किया
स्वामी सानंद ने अपने अनशन से पूर्व प्रधानमंत्री को कई पत्र लिखकर गंगा में खनन रोकने समेत तमाम मुद्दों को रखते हुए लिखे, लेकिन उनकी अनसुनी होते देख वे अनशन पर बैठ गए। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी उनके जीवन को सुरक्षित रखने और उनको अपनी मांग के संबंध में आंदोलन करने देने को लेकर निर्देश दिए थे। सुबह गंगा के लिए अनशन कर रहे प्रफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने एक पत्र लिखकर अपना शरीर एम्स को दान करने के लिए संकल्प पत्र लिखा।पूर्व प्रफेसर ज्ञानस्वरूप सानंद के 9 अक्टूबर से जल का त्याग करते ही जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे और प्रशासन ने बुधवार दोपहर बाद स्वामी सानंद को जबरन अनशन से उठाते हुए उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती करा दिया था। उन्हें मातृसदन आश्रम से पुलिस और प्रशासन की टीम ने चिकित्सकों की मौजूदगी में एम्बुलेंस से ऋषिकेश एम्स भिजवाया। ऐसा करने से पहले प्रशासन ने आश्रम और उसके पास धारा 144 भी लागू कर दी थी।