नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारत में रहने वाले रोहिंग्याओं की कानूनी स्थिति के बारे में गंभीर सवाल उठाए। क्या घुसपैठियों के स्वागत के लिए रेड कार्पेट बिछाना सही है जब भारतीय नागरिक गरीबी से जूझ रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यह सीधा सवाल पूछा। ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट रीता मनचंदा की दायर एक हेबियस कॉर्पस पिटीशन, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अधिकारियों की कस्टडी में कुछ रोहिंग्या गायब हो गए हैं, चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने सुनी गई। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा, "क्या कोई घुसपैठिए को सारी सुविधाएं देने को तैयार है? घुसपैठिए को वापस भेजने में क्या दिक्कत है?
क्या देश के गरीबों को फायदे पाने का हक नहीं है?
चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कुछ लोग कानून तोड़कर और घुसपैठ करके भारत आते हैं। यहां आने के बाद घुसपैठिए ऐसी मांगें करने लगते हैं, अब भारत के कानून मुझ पर भी लागू होने चाहिए, मुझे खाना चाहिए, मुझे रहने की जगह चाहिए, मेरे बच्चों को पढ़ाई मिलनी चाहिए। भारत में भी गरीब लोग हैं। वे हमारे नागरिक हैं। क्या उन्हें कुछ सुविधाएं और फायदे पाने का हक नहीं है? तो पहले उन पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? अगर कोई घुसपैठिया है, तो क्या उसका स्वागत करना सही है?
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