-कई ठिकानों पर छापा, प्रॉपर्टी खरीदी-बिक्री के दस्तावेज खंगाल रही टीम
-रायपुर में रहेजा गु्रप, बिलासपुर में सुल्तानिया परिवार के ठिकानों पर छापा
रायपुर/ । ईडी की टीम ने शुक्रवार सुबह रायपुर, बिलासपुर और धमतरी में कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी के मुताबिक ये छापा कस्टम मिलिंग घोटाले से जुड़ा है। घोटाले के पैसों से प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री की गई है। इसी को लेकर ईडी की टीम जांच कर रही है। ईडी ने रायपुर में रहेजा गु्रप के ठिकानों पर छापा मारा है। बिलासपुर में सुल्तानिया गु्रप के मीनाक्षी सेल्स के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि वित्तीय लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग केस में छापेमारी की गई है।
सुबह से ईडी की टीम घर के अंदर दस्तावेज खंगाल रही है। रायपुर के जवाहर मार्केट स्थित रहेजा गु्रप के संचालक रहेजा के घर और ऑफिस पर शुक्रवार सुबह से ही ईडी की टीम मौजूद है। अधिकारी दस्तावेज, फाइलों और वित्तीय रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं। घर के भीतर कागजातों की जांच और पूछताछ की जा रही है।
बिलासपुर में सुल्तानिया गु्रप पर छापा
इसी तरह बिलासपुर में गु्रप की टीम ने सुबह-सुबह सुल्तानिया परिवार के क्रांति नगर स्थित आवासीय और कारोबारी ठिकानों पर दबिश दी। सुल्तानिया ग्रुप के मीनाक्षी सेल्स के ठिकानों पर ईडी की टीम रिकॉर्ड, बैंक स्टेटमेंट और वित्तीय दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है। बिलासपुर में मीनाक्षी सेल्स, सुल्तानिया ग्रुप का कारोबार है, जो कोयला, सीमेंट, छड़, स्टील और अन्य ट्रेडिंग से जुड़ा हुआ है। वहीं, कार्रवाई के चलते इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
दस्तावेजों की हो रही जांच
ईडी के अफसर मीनाक्षी सेल्स और सुलतानिया गु्रप के अलग- अलग ठिकानों की तलाशी ले रहे हैं। साथ ही कई अहम दस्तावेजों की भी जांच कर रही है। बता दें कि, मीनाक्षी सेल्स सुल्तानिया ग्रुप का कोयला, सीमेंट, छड़, स्टील, ट्रेडिंग का कारोबार है। कोयला, शराब, मनी लॉन्ड्रिंग को ईडी की कार्रवाई से यह कयास लगाये जा रहे हैं कि, यह मामला भी मानी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी हो सकती है।
अधिकारियों ने प्रति क्विंटल 20 रुपए कट लिया
इसके बाद मिलर्स को मार्कफेड से 40 रुपए की जगह 120 रुपए भुगतान किया जाने लगा। राशि बढऩे पर मार्कफेड के अधिकारियों ने प्रति क्विंटल 20 रुपए 'कटÓ लेना शुरू किया, जो मिलर्स 'कटÓ देते थे, उसका भुगतान कर दिया जाता था, जो कट नहीं देते थे, उनका पैसा रोक दिया जाता था। इस पैटर्न पर मार्कफेड के अधिकारियों ने प्रदेश के 2700 मिलर्स से 140 करोड़ से ज्यादा की उगाही कर ली।
एफसीआई को नान में कंवर्ट करने लिया पैसा
कस्टम मिलिंग, डीओ काटने, मोटा धान को पतला, पतले धान को मोटा करने, एफसीआई को नान में कंवर्ट करने का पैसा लिया जाता था। मनोज सोनी और उनके सहयोगियों का खेल 2 साल से चल रहा था। इस खेल में मार्कफेड के अफसर और छत्तीसगढ़ स्टेट इन मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी भी शामिल थे।