नई दिल्ली। लंबे समय के बाद, देश की आधिकारिक जनसंख्या की गणना की जाएगी। यह जनगणना 2027 में होगी और इसके लिए भारत के महापंजीयक ने केंद्र सरकार से भारी मात्रा में धनराशि की मांग की है। जनगणना 2027 में होगी और इसके लिए भारत के महापंजीयक (आरजीआई) ने केंद्र सरकार से भारी धनराशि की मांग की है। 2027 की जनगणना के लिए 14,618.95 करोड़ रुपये का बजट मांगा गया है।
यह जनगणना देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी। इसमें जाति संबंधी जानकारी भी शामिल होगी। व्यय वित्त समिति (ईएफसी) वित्त मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय निकाय है। यह निकाय सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं का मूल्यांकन करता है और उन्हें मंजूरी देता है कि वे वहनीय हैं या नहीं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जनगणना कर रहे आरजीआई ने इस ईएफसी को मंजूरी के लिए कुल लागत की जानकारी दे दी है।
ईएफसी से मंजूरी मिलने के बाद, आरजीआई गृह मंत्रालय और केंद्रीय मंत्रिमंडल को मंजूरी के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा। इन सभी से मंजूरी मिलने के बाद ही जनगणना में तेजी आएगी। जनगणना दो चरणों में होगी, जिसमें अप्रैल से सितंबर 2026 तक मकान सूचीकरण और फरवरी 2027 में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश में जनसंख्या गणना शुरू होगी।
घरों की गणना करते समय, घरों की स्थिति, घरेलू सुविधाओं और परिवारों की संपत्ति की जानकारी एकत्र की जाएगी। यह डेटा एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से एकत्र किया जाएगा। खास बात यह है कि देश के नागरिक अपनी जानकारी स्वयं अपलोड कर सकेंगे। इसके लिए कुछ नियम और शर्तें होंगी। इसके लिए जनगणना निगरानी एवं निगरानी प्रणाली नामक एक वेबसाइट भी विकसित की जा रही है।