एच-1बी वीजा पर आए अपडेट से उद्योग जगत की चिंताएं दूर


 नैसकॉम ने कहा- देश के आईटी सेक्टर पर मामूली असर

  नई दिल्ली । नैसकॉम कंपनी ने कहा कि अमेरिका की ओर से एच-1 बी वीजा शुल्क को लेकर जारी की गई नई सप्ष्टता से उद्योग की चिंताएं बहुत हद तक दूर हुई हैं। ट्रंप प्रशासन ने साफ किया है कि शुल्क में बढ़ोतरी मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होगी और यह केवल नए आवेदनों पर एक बार के शुल्क के रूप में लागू होगी। ट्रंप प्रशासन के स्पष्टीकरण से पात्रता और समयसीमा को लेकर बनी अनिश्चितता दूर हो गई है।  नैसकॉम, यानी नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज, भारत में सॉफ्टवेयर और सर्विसेज कंपनियों का प्रमुख संगठन और गैर-लाभकारी उद्योग निकाय है। यह संगठन भारत सरकार के साथ मिलकर काम करता है, उद्योग के लिए नीतियां तैयार करने, कारोबारी माहौल सुधारने और अपने सदस्यों को प्रशिक्षण, नेटवर्किंग और मार्केट रिसर्च जैसी सेवाएं प्रदान करने में अहम भूमिका निभाता है। नैसकॉम के अनुसार, इस कदम से बिजनेस कंटिन्युटी और उन वीजा धारकों की चिंताएं कम हुई हैं जो अमेरिका के बाहर थे। इसके अलावा भारतीय और भारत-केंद्रित कंपनियों ने एच-बी वीजा पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है। यह स्थानीय स्तर पर नियुक्तियां बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए हम इस क्षेत्र पर केवल मामूली प्रभाव की उम्मीद करते हैं। 

भारतीय आईटी उद्योग ने रहात की सांस ली

भारतीय आईटी उद्योग ने रविवार को राहत की सांस ली, जब अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया कि ॥-1क्च वीजा आवेदन शुल्क में बढ़ोतरी केवल नए आवेदनों पर लागू होगी और मौजूदा वीजा धारकों या नवीनीकरण पर इसका असर नहीं पड़ेगा। नए शुल्क के तहत ॥-1क्च आवेदन पर 100,000 डॉलर अतिरिक्त लिया जाएगा, जबकि सामान्य वीजा शुल्क लगभग 2,000 से 5,000 डॉलर के बीच होता है, नियोक्ता के आकार और अन्य लागतों के आधार पर।

भारतीय कंपनियों की एच-1बी वीजा पर निर्भरता हुई कम

कंपनियां अमेरिका में स्थानीय भर्ती और कौशल विकास पर सालाना एक अरब डॉलर से अधिक खर्च कर रही हैं, और स्थानीय कर्मचारियों की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।सालों में, अमेरिकी बाजार में काम कर रही भारतीय और भारत-केंद्रित कंपनियों ने एच-1 वीजा पर निर्भरता काफी हद तक घटा दी है और स्थानीय भर्ती लगातार बढ़ाई है। आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख भारतीय कंपनियों को जारी किए गए एच-1 वीजा की संख्या 2015 में 14,792 थी, जो 2024 में घटकर 10,162 रह गई। शीर्ष 10 भारतीय और भारत-केंद्रित कंपनियों के एच-1 कर्मचारी उनके कुल कर्मचारियों का एर प्रतिशत से भी कम हैं। ऐसे में पूरे सेक्टर पर इस नए शुल्क का असर सीमित रहने की उम्मीद है। एच-1  वीजा उच्च-कौशल वाले कर्मचारियों के लिए है और यह अमेरिका में महत्वपूर्ण कौशल अंतर को पूरा करता है। इस श्रेणी के कर्मचारियों की सैलरी स्थानीय कर्मचारियों के बराबर होती है।

वैश्विक नवाचार अर्थव्यवस्था में देशों की स्थिति करती है मजबूत

नैसकॉम ने कहा कि एच-1 कर्मचारी अमेरिकी कार्यबल का केवल एक छोटा हिस्सा हैं। संगठन ने जोर देकर कहा कि कौशल-आधारित श्रम गतिशीलता स्थिर और पूर्वानुमेय होनी चाहिए, क्योंकि यह राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने, अनुसंधान को तेज करने और वैश्विक नवाचार अर्थव्यवस्था में देशों की स्थिति मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है।

उद्योग विशेषज्ञों की राय

कुछ उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ोतरी का अगले 6 से 12 महीनों में कोई तत्काल नकारात्मक असर नहीं होगा, क्योंकि यह केवल आगामी आवेदन चक्र पर लागू है। हालांकि, अन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि नियम लंबे समय तक बने रहने पर आईटी कंपनियों को अपने बिजनेस रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ सकता है।

एच-1बी आवदेकों में भारतीयों की कितनी हिस्सेदारी?

एच-1बी आवेदकों में भारतीय तकनीकी पेशेवरों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है। यूएससीआईएस वेबसाइट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025 (30 जून, 2025 तक के आंकड़े) के लिए, 10,044 एच-1बी वीजा अनुमोदनों के साथ अमेजन शीर्ष पर है। शीर्ष दस लाभार्थियों की सूची में टीसीएस (5505) दूसरे स्थान पर है, उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प (5189), मेटा (5123), एप्पल (4202), गूगल (4181), कॉग्निजेंट (2493), जेपी मॉर्गन चेज़ (2440), वॉलमार्ट (2390) और डेलॉइट कंसल्टिंग (2353) हैं। शीर्ष 20 की सूची में इंफोसिस (2004), एलटीआईमाइंडट्री (1807), और एचसीएल अमेरिका (1728) शामिल हैं।

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