पाकिस्तान तिलमिला उठा! नूर खान हवाई अड्डे पर छिपा है युद्ध विराम का रहस्य...



-भारत द्वारा नूर खान एयरबेस पर हमले के बाद पाकिस्तान की रणनीति बदल गई


कराची। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए। इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया। इस हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 6 मई की रात को पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी शिविरों को निशाना बनाया। इसके बाद पाकिस्तान ने लगातार भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों के शहरों पर ड्रोन हमले किए, लेकिन इन सभी हमलों को भारत की वायु रक्षा प्रणाली द्वारा सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया। 


भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई करके पाकिस्तानी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। इसमें भारत के सटीक निशाने से पाकिस्तान स्थित नूर खान एयरबेस को नष्ट कर दिया गया। इस हमले ने न केवल पाकिस्तानी सेना को हिलाकर रख दिया, बल्कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए।


भारत द्वारा नूर खान एयरबेस पर हमले के बाद पाकिस्तान की रणनीति बदल गई। इस हमले के बाद 10 मई की शाम को दोनों देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता में युद्धविराम की घोषणा की। लेकिन इस युद्धविराम के पीछे नूर खान एयरबेस के नुकसान और पाकिस्तान के परमाणु कमांड सेंटर को खतरे की कहानी छिपी है।


भारत की रणनीति, पाकिस्तान का पीछे हटना


नूर खान एयरबेस को पहले चकला एयरबेस के नाम से जाना जाता था। यह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सिर्फ 10 किमी दूर रावलपिंडी में स्थित है। पाकिस्तान वायु सेना का एक प्रमुख रसद केंद्र यहीं स्थित है। जहां से वीवीआईपी मूवमेंट, टोही मिशन और लंबी दूरी की मिसाइल ऑपरेशन संचालित किए जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एयरबेस पाकिस्तान के सामरिक योजना प्रभाग और राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण के मुख्यालय के बहुत करीब है। जो देश में लगभग 170 परमाणु हथियारों की सुरक्षा और संचालन के लिए जिम्मेदार है।


10 मई की सुबह भारत ने ब्रह्मोस, हैमर और स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए नूर खान एयरबेस को सटीक निशाना बनाया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हमला इतना भीषण था कि पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणालियां इसे पूरी तरह से ट्रैक करने में विफल रहीं। इस हमले से नूर खान एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा और पाकिस्तानी सेना में दहशत फैल गई। इस हमले से पाकिस्तान को यह एहसास हो गया कि भारतीय मिसाइलें उनके संवेदनशील सैन्य स्थलों तक पहुंच सकती हैं।



परमाणु हथियार कमान केंद्र खतरे में


इस हमले से नूर खान एयरबेस से कुछ ही दूरी पर स्थित पाकिस्तानी परमाणु हथियार कमांड सेंटर को खतरा पैदा हो गया। इस हमले से पाकिस्तान को यह संदेश गया कि भारत के पास पाकिस्तान के परमाणु कमांड को निष्क्रिय करने की क्षमता है। पाकिस्तान को डर था कि भारत परमाणु हमला करके उसकी पूरी ताकत नष्ट कर देगा। एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि नूर खान एयरबेस पर हमला इसका संकेत था। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यदि भारत की ब्रह्मोस मिसाइल 1-2 किमी दूर स्थित लक्ष्य पर गिरती तो इससे पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार में भारी विस्फोट हो जाता और विकिरण की स्थिति पैदा हो जाती। हालाँकि, इस दावे की पुष्टि भारत या पाकिस्तान द्वारा नहीं की गई है।


...इसलिए पाकिस्तान को बचाने के लिए अमेरिका ने हस्तक्षेप किया


नूर खान एयरबेस पर हमले की खबर सुनते ही अमेरिका में भी हड़कंप मच गया। भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसने यह रुख अपनाया था कि वह दोनों देशों की देखभाल करेगा, ने इस हमले के बाद सक्रिय रूप से मध्यस्थता की भूमिका निभाई। भारत के हमले के बाद पाकिस्तान ने तुरंत अमेरिका से संपर्क किया। युद्ध विराम की दिशा में पहला कदम सेना प्रमुख असीम मुनीर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच उठाया गया। इसके बाद अमेरिका ने भारत से संपर्क किया। दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने 10 मई को शाम 5 बजे युद्धविराम की घोषणा की।

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