दवा दुकानों की आड़ में संचालित अधिकांशत: अवैध क्लिनिक
सूरजपुर । मौसम के बदलते मिजाज से मौसमी बीमारियों से ग्रस्त ग्रामीण उपचार के लिए इन दिनों दवा दुकानों की आड़ में उपचार करने वाले झोलाछाप डाक्टरों के पास उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इससे इनका कारोबार जमकर चल रहा है। सिर्फ चंद पैसे के लालच में ग्रामीणों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। भोले भाले ग्रामीण सस्ते इलाज के फेर में आकर इलाज करा रहे हैं।
वैसे तो शासन ग्रामीणों के स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशील होने की बात करता है मगर इन झोला छाप डाक्टरों पर कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में इनके हौसले बुलंद हैं। कई मरीजों की जान भी इनके उपचार से गई है मगर इस ओर सुध लेने वाले कोई नहीं है। सूरजपुर,भैयाथान विकासखंड में तो कुछ ऐसे झोलाछाप डाक्टर भी हैं जो लगभग 10 वर्ष से अधिक समय से अपना क्लीनिक संचालित कर रहे हैं। झोला छाप के चक्कर में कई ग्रामीणों की जान भी चली गई है। लेकिन शासकीय विभागों में लेन देन कर कार्रवाई से बच जाते हैं। मरीज जाने अंजाने इनसे उपचार करा कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं।
घर अंदर में चल रहा क्लिनिक
बसदेई ग्राम सहित आसपास में ही 4 से 5 झोलाछाप डाक्टरों का क्लिनिक संचालित है। घर को ही क्लिनिक बना लिया है ताकि कोई बाहरी अधिकारी आए तो उन्हें क्लिनिक ही ना दिखे और क्लिनिक दिखे तो शासकीय नियमानुसार घर पर सील न कर सके। साल में एक न एक ऐसा मामला सामने आता ही है। जहां झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा गलत इलाज करने की कीमत ग्रामीण को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।
ड्रग इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध
कहने को तो जिले में दो ड्रग इंस्पेक्टरों की तैनाती है लेकिन इनके संबंध में आमजनों को शायद ही जानकारी हों, यदि कोई इन दवा दुकानों की आड़ में क्लिनिक संचालित करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत कराना चाहें तो इनका नंबर जल्दी रिसीव नहीं होता। अधिकांश अवैध क्लिनिक संचालित करने वाले दुकानदारों द्वारा जिन फर्मासिस्ट के नाम पर दुकान संचालित कर रहे हैं अधिकांशत: काम कही और करते हैं और उनके नाम पर दुकान ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रही है।