ओबीसी वर्ग ने 2014 या 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को दिया रूझान




नई दिल्ली। बिहार के बाद अब बीजेपी के सहयोगी दल विभिन्न राज्यों में जातिवार जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसके बाद सत्तारूढ़ बीजेपी ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। ओबीसी वोटों को आकर्षित करने की विपक्ष की रणनीति को नाकाम करने के लिए बीजेपी सतर्क हो गई है। राहुल गांधी के 'जितनी आबादी उतनी अधिकारÓ वाले बयान के बाद बीजेपी ने ओबीसी समुदाय को करीब लाने के लिए सरकारी योजनाओं की एक लिस्ट तैयार की है।


पिछले 2 चुनावों में बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर बीजेपी के साथ रहे। इसलिए बीजेपी मतदाताओं को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती। इसलिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी के वरिष्ठ स्तर पर कमान संभाल ली है।


ओबीसी मतदाताओं ने भाजपा के लिए अपनी प्राथमिकता दिखाई थी। 2014 की तुलना में 2019 में ओबीसी मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया। 2014 में 30 फीसदी और 2019 में 40 फीसदी बीजेपी के साथ थे। अब विपक्षी दल उसी ओबीसी समुदाय को अपनी ओर खींचने के लिए राजनीतिक चालें चल रहे हैं। इसलिए पार्टी 2024 में ओबीसी वोटरों को बीजेपी के साथ बनाए रखने की योजना बना रही है।


गुरुवार को बीजेपी के पार्टी मुख्यालय में बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत 10 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों और प्रमुख नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा हुई। बीजेपी के लिए ओबीसी वोटर अहम हैं। खासकर 2024 लोकसभा के लिए बीजेपी ऐसी कोई गलती नहीं करेगी जिससे ओबीसी वोटर पार्टी से छिटक न जाएं। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, बीएल संतोष, बिहार बीजेपी सम्राट चौधरी, ओबीसी मोर्चा प्रमुख के. लक्ष्मण शामिल थे।


बैठक में केंद्रीय नेतृत्व ने ओबीसी समुदाय तक पहुंचने और ज्यादा से ज्यादा ओबीसी समुदाय को पार्टी से जोडऩे पर जोर दिया। पार्टी ने उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में ओबीसी समुदाय को एकजुट करने की रणनीति बनाई। इस समुदाय के वोट राज्य के चुनाव पर असर डाल सकते हैं। उन्होंने ओबीसी समुदाय के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा कर उनका लाभ संबंधित पक्षों तक पहुंचाने को कहा।

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