खेतों की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाने के लिए महिलाएं तैयार कर रहीं हैं ‘जीवामृत‘



  • बगिया गौठान की रानी समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट खाद और मुर्गी पालन से साल में कमाएं 1 लाख 50 हजार रूपए
  • जीवामृत सभी प्रकार की फसलों, सब्जियों व फलों की खेती में उपयोग किया जाता है
  • महिलाएं गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए केंचुआ भी तैयार कर रहीं हैं
जशपुरनगर। जशपुर जिले के कांसाबेल विकासखण्ड के बगिया गौठान रानी स्व सहायता समूह की महिलाएं विभिन्न गतिविधियों में शामिल होकर आज आर्थिक लाभ ले रही हैं। गौठान में तैयार केंचुआ का उपयोग करके महिलाएं उच्च गुणवत्ता के वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर रही हैं। महिलाएं मुर्गी पालन और खाद निर्माण से एक साल में 1 लाख 50 हजार रूपए तक की आमदनी अर्जित कर लेती हैं। आज समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर बहुत खुश हैं और अपने परिवार को भी आर्थिक सहायता कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया हैं। कलेक्टर श्री रितेश कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत सीईओ श्री जितेन्द्र यादव के दिशा-निर्देश में जिले के गौठानों में समूह को सक्रिय करके गतिविधियां कराया जा रहा है।
समूह की महिलाओं ने बताया कि अच्छी गुणवत्ता युक्त खाद बनाने के लिए केंचुआ तैयार किया जा रहा है और खाद बनाने के लिए भी केंचुआ का उपयोग किया जा रहा है। खेतों उर्वरता शक्ति को बढ़ाने के लिए और फसलों का उत्पादन बेहतर तरीके से हो इसके लिए जीवामृत दवाईयॉ भी बनाई जा रही है। इसका उपयोग खेतों में किया जाता है जिससे किसानों को खाद और कीटनाश दवा का छिड़काव करने की जरूरत नहीं पड़ती है। जीवा अमृत सभी प्रकार की फसलों, सब्जियों व फलों की खेती में उपयोग किया जाता है।
कृषि विज्ञानिकी की माने तो यह खेतों के लिए बहुत ही उपयुक्त होता है इसका उपयोग खेतों में करने से निषक्रीय जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं और जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है। रानी स्व सहायाता समूह की महिलाओं ने बताया कि मशाला उत्पादन करके भी अच्छा मुनाफा कमा रही है। जिला प्रशासन द्वारा गौठानों को मिनी उद्योग के रूप में विकसित किया जा रहा है और महिलाओं को जोड़कर उन्हें प्रशिक्षित करके उनके लिए स्व-रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। समूह द्वारा मिनी राईस मशीन का उपयोग करके भी अतिरिक्त लाभ ले रही हैं।


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