नब्बे साल पुराने स्वरूप में सीएसएमटी स्टेशन का होगा पुनर्विकास


नई दिल्ली। देश के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) की इमारत को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर 90 साल पहले के स्वरूप में पुन: विकसित किया जायेगा हालाँकि यह सारी आधुनिक और वाणिज्यिक सुविधाओं से भी लैस होगा। भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव कुमार लोहिया ने आज संवाददाताओं के बताया सीएमएसटी के पुनर्विकास के लिए शनिवार को रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (आरएफक्यू) 22 अगस्त को जारी किया गया है। रेलवे स्टेशन की इमारत में 1930 के बाद जितने निर्माण हुये हैं उन्हें हटाया जायेगा। यह एक यूनेस्को के वैश्विक विरासत की सूची में शामिल है और इसलिए निर्माण कार्य के दौरान यह ध्यान रखा जायेगा कि इमारत के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ न हो।
उन्होंने बताया कि पहले चरण की बोली प्रक्रिया 22 सितंबर को शुरू होगी और निविदा 22 अक्टूबर को खोली जायेगी। पहले चरण के आधार पर पात्र बोलीदाताओं से इस साल दिसंबर या अगले साल जनवरी तक प्रस्ताव-अनुरोध आमंत्रित किया जायेगा। परियोजना की कुल लागत 1,642 करोड़ रुपये आँकी गई है और इसे चार साल में पूरा किया जायेगा। रेलवे स्टेशन के आसपास रेलोपॉलिस और वाणिज्यिक इमारतों का 40 प्रतिशत विकास आठ साल के भीतर किया जायेगा। आईआरएसडीसी के प्रबंध निदेशक ने बताया कि हार्बर लाइन को स्टेशन के पूर्व की ओर स्थानांतरित किया जायेगा। हार्बर लाइन, उपनगरीय लाइन और मुख्य रेल लाइन को फुट ओवर ब्रिज के जरिये जोड़ा जायेगा। सीएमएसटी पर पाँच उपनगरीय लाइनें होंगी जबकि मुख्य रेल लाइन पर मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए 10 प्लेटफॉर्म होंगे। नये सिरे से विकास के बाद विरासत इमारत रेलवे स्टेशन के हर हिस्से से दिखेगी। डीआरएम ऑफिस को बायकुला में स्थानांतरित किया जायेगा। आईआरएसडीसी ने देश के 90 बड़े रेलवे स्टेशनों का संचालन पीपीपी के आधार पर निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया है। इसमें रेलवे स्टेशन तथा वाणिज्यिक परिसरों को 60 साल के लिए और आवासीय परिसरों को 99 साल के लिए निजी ऑपरेटरों को सौंपने की योजना है। निजी ऑपरेटरों को इन रेलवे स्टेशनों पर उपयोग शुल्क (यूजर चार्ज) लगाने की भी अनुमति होगी।

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