तेरह जनजातियों की पुरा-सांस्कृतिक चीजें संग्रहित : क्षेत्रीय विशेषताओं की पहचान के साथ विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ


रायपुर।मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परम्पराओं को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए कई अहम निर्णय लिए हैं। इसी कड़ी में राज्य की आदिमजातियों की संस्कृति और परम्परा, अस्त्र-शस्त्र, खानपान और दैनिक जीवन में उपयोगी चीजों को संरक्षित करने के लिए राजधानी रायपुर सहित अन्य जिलों में संग्रहालयों का निर्माण किया जा रहा है। जशपुर जिले में नवनिर्मित जशपुर पुरातत्व संग्रहालय में 13 जनजातियों की सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व की चीजों को संरक्षित करके रखा गया है। इस संग्रहालय से जहां एक ओर क्षेत्रीय विशेषताओं की पहचान होगी, वहीं संग्रहालय का लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा।






संग्रहालय में 13 जनजातियों बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, असुर, उरांव, नगेशिया, कंवर, गोंड, खैरवार, मुण्डा, खड़िया, भूईहर, अघरिया आदि जनजातियों की पुरानी चीजों को संग्रहित करके रखा गया है। संग्रहालय में लघु पाषाण उपकरण, नवपाषाण उपकरण, ऐतिहासिक उपकरणों को भी रखा गया है। साथ ही 1835 से 1940 के भारतीय सिक्कों को भी संग्रहित किया गया है।

संग्रहालय में मृदभांड, कोरवा जनजाति के ढेकी, आभूषण, तीर-धनुष, चेरी, तवा, डोटी, हरका आदि को भी रखा गया है। साथ ही जशपुर मेें पाए गए शैलचित्र के फोटोग्राफ्स भी प्रदर्शित किए गए हैं। अनुसूचित जनजातियों के सिंगार के सामान चंदवा, माला, ठोसामाला, करंजफूल, हसली, बहुटा, पैरी, बेराहाथ आदि को भी संरक्षित किया गया है। संग्रहालय में चिमटा, झटिया, चूना रखने के लिए गझुआ, खड़रू, धान रखने के लिए बेंध, नमक रखने के लिए बटला, और खटंनशी नगेड़ा, प्राचीन उपकरणों ब्लेड, स्क्रेपर, पाईट, सेल्ट, रिंगस्टोन रखा गया है। जशपुर संग्रहालय को सुंदर एवं आकर्षक बनाया गया है।


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