भारत में अपने उत्पादों के बहिष्कार की जोर पकड़ती मांग से चीन के फूलने लगे हाथ-पांव


नयी दिल्ली । लद्दाख की गलवां घाटी में चीन की अवैध घुसपैठ और भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष के बाद भारत में वहां के आयातित उत्पादों के बहिष्कार की चौतरफा आवाज बुलंद होने से चीन के हाथ-पांव फूलने लगे हैं और उसने वैश्विक महामारी कोविड-19 की दुहाई देकर इससे उत्पन्न अवसरों को संजोने की गुहार लगानी शुरु कर दी है।

गलवां घाटी में 15-16 जून की रात को हुए संघर्ष में एक कर्नल समेत 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। चीन की तरफ से भी बड़ी संख्या में सैनिकों के मारे जाने की रिपोर्ट हैं, हालांकि चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

इस घटनाक्रम के बाद भारत में चीन से आयातित उत्पादों के बहिष्कार की मांग चौतरफा उठ रही है। बुधवार को चीन के खिलाफ पूरे देश में जगह-जगह विरोध प्रर्दशन और चीनी सामान की होली जलाई गई।

इसके बाद चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाईम्स ने एक ट्वीट कर कहा, “ सीमा संघर्ष के बाद भारत में चीन का 'बहिष्कार' करने की आवाज बुलंद हुई है। सीमा मामले पर निवेश और व्यापार को बिना सोच-विचार के जोड़ना कतई भी तर्कसंगत नहीं है। दोनों देशों को वैश्विक महामारी से उत्पन्न अनिश्चितता के माहौल में सामने आए महत्त्वपूर्ण अवसरों को संजोने की जरूरत है।”

एक अन्य ट्वीट में विश्लेषकों का हवाला देकर कहा गया है कि दोनों देशों के बीच यदि आपसी संबंध सामान्य नहीं हुए तो उच्च पूरक कारोबार और व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। यदि स्थिति स्पष्ट नहीं हुई तो दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार को बीस प्रतिशत का झटका लग सकता है।

भारत-चीन व्यापार के आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 88 अरब डॉलर रहा था। भारत का व्यापार घाटा करीब 52 अरब डॉलर रहा। पिछले कई वर्षों से चीन के साथ लगातार छलांगे लगाकर बढ़ता हुआ व्यापार घाटा भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है । चीन के बाजार तक हालांकि भारत की अधिक पहुंच और अमेरिका तथा चीन के बीच चल रहे मौजूदा व्यापार युद्ध के कारण पिछले वर्ष भारत से चीन को निर्यात बढ़कर 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो वर्ष 2017-18 में 13 अरब डॉलर था । इस दौरान चीन से भारत का आयात भी 76 अरब डॉलर से कम होकर 70 अरब डॉलर रह गया।

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