पुनर्वास केन्द्र से संवरी कई जिंदगियां : नि:शुल्क कृत्रिम अंग, व्हीलचेयर, मोल्डेड चेयर पाकर बदले हजारों जीवन

रायपुर। समाज कल्याण विभाग द्वारा रायपुर जिले के माना में संचालित फिसिकल रेफरल रीहेबिलीएशन सेन्टर (पीआरआरसी) कई जिन्दगियों को संवारने में लगा है, यहां आकर हजारों लोगों के जीवन को रफ्तार मिली हैं। यह पुनर्वास केन्द्र इंटरनेशनल कमिटी ऑफ रेडक्रॉस (आईसीआरसी) के सहयोग से दिव्यांगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग बनाकर देने के साथ उन्हें अंग संचालन और संतुलन की ट्रेनिंग भी देता है। यहां कृत्रिम अंगों के माध्यम से फिर से अपने पैरों पर चलते, हांथों को उठाते, अपने बेजान हिस्सों में गति आते देखकर हजारों चेहरे मुस्कान से खिल जाते हैं। यह केन्द्र कृत्रिम अंगों के साथ लोगों को जीवन जीने की एक नई आशा भी दे देता हैं। वर्ष 2012 से संचालित इस केन्द्र में अब तक सात हजार से अधिक मामलों में लाभ पहुंचाया गया है। इन मरीजों को अलग अलग समय पर आवश्यकतानुसार कृत्रिम हाथ, पैर, कैलिपर, व्हीलचेयर के अतिरिक्त सहायक उपकरण भी नि:शुल्क उपलब्ध कराए गए हैं। यहां एक बार ही पंजीयन की आवश्यकता होती हैं। मरीजों को एक बार पंजीयन के बाद समय-समय पर जरूरत के अनुसार कृत्रिम अंग प्रदान किए जाते हैं। सेरिब्रल पाल्सी (प्रमस्तिष्क घात) से पीडि़त सहित ऐसे मरीज जिनमें संतुलन की कमी होती है, उन्हें नि:शुल्क व्हील चेयर और सिटिंग चेयर भी तैयार करके दी जाती है, जिससे मरीज को खाना-खाने, पढऩे, बैठने में आसानी हो सके।
जिंदगियां जिनकी राह फिर हुई रौशन
अब स्कूल जा सकेगी धनेश्वरी- धरसींवा की 15 वर्षीय कुमारी धनेश्वरी ने बताया कि पैर में खून जम जाने के कारण तीन साल पहले उसका एक पैर काटना पड़ गया। पुनर्वास केन्द्र की जानकारी मिलने के बाद वह यहां आई। केन्द्र में उसे नकली पैर बनाकर दिया गया है। अब कृत्रिम पैरों से संतुलन और चलने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब अपने पैरों पर चलने का सोच कर ही वह बहुत खुश हैं। अब वह किसी पर निर्भर न होकर अपना काम खुद कर सकेगी। उन्होंने बताया कि वह चौथी तक पढ़ी हैं। पैर कटने के बाद वह स्कूल नहीं जा पाती थी। अब वह पढ़ाई भी फिर से शुरू कर सकेगी। माता-पिता के सपने पूरे करेगा राजू- अपना कृत्रिम पैर बनवाने पीआरआरसी केन्द्र माना आए अम्बिकापुर निवासी 18 वर्षीय श्री राजू सोनी ने बताया कि वह 12 वीं कक्षा में पढ़ते हैं। विगत वर्ष बाइक से जाते समय उनका एक्सीडेंट हो गया,जिससे उनका एक पैर काटना पड़ गया। पैर के कट जाने के बाद उनके जीवन में निराशा आ गई थी। रायपुर के निजी हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद उन्हें पीआरआरसी के बारे में पता चला। अब तक वह वॉकर के सहारे चलते थे। पुनर्वास केन्द्र में आने पर उनके लिए कृत्रिम पैर बनाकर दिया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अब कृत्रिम पैरों के सहारे चल कर वह आगे बढ़ेगे और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करेंगे। अब खाता-खेलता है सेरिब्रल पाल्सी का नन्हा मरीज वंश - बलौदाबाजार से आई श्रीमती स्वाति बंजारे ने बताया कि उनका बेटा मृत्युंजय जिसे प्यार से सब वंश पुकारते हैं, जब गर्भ में था तभी डॉक्टर ने उसमें अनियमितता होने के बारे में बता दिया था। वंश के जन्म के 15 दिन बाद ही पता चल गया था उसे सेरिब्रल पाल्सी की परेशानी है। इससे वंश अपने शरीर का संतुलन नहीं बना पाता। अब लगभग ढाई साल होने के बाद भी वह चल नहीं पाता। पीआआरसी केन्द्र में वंश के लिए उसके नाप की सिटिंग चेयर बनाकर दी गई। जिसमें बैठकर अब वंश को खाना-खिलाना,बैठाना जैसे काम आसान हो गए हैं। अब वंश चेयर में बैठकर खेलता भी है।

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