बांस शिल्प : आर्थिक स्वावलंबन का बना आधार

रायपुर। बांस शिल्प प्रशिक्षण केंद्र नारायणपुर शिल्पियों  के लिए आर्थिक स्वावलंबन का आधार बना हुआ है।  जिले के स्थानीय ग्रामीण और यहां की जनजाति के लोग बांस शिल्प के महत्व को समझते परखते हैं। यहां के लोग बांस का काम प्रमुखता से कर अनेक उपयोगी मनमोहक और आकर्षक सामग्रियों का निर्माण करते हैं। बांस शिल्प के प्रति स्थानीय लोगों की रूचि  के कारण नारायणपुर में बांस शिल्प प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई।  इस प्रशिक्षण केंद्र में स्थानीय निवासियों को बांस शिल्प के साथ-साथ बेल मेटल और काष्ठ कला का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। बांस शिल्प सामान्य सुविधा केंद्र का प्रमुख उद्देश्य यहां के जनजातीय परिवार जो परंपरागत रूप से शिल्प कार्य में संलग्न रहते हैं उनको निरंतर रोजगार प्रशिक्षण आदि के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्ष 2019-20 में 20-20 हितग्राहियों को बांस शिल्प में उन्नत प्रशिक्षण दिया गया जिससे उनके कला कौशल में गुणात्मक सुधार होने के साथ-साथ ही स्थानीय स्तर पर मांग अनुसार अपना स्वयं रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। वर्तमान में बांस शिल्प परिषद अंतर्गत निरंतर 23 शिल्पी परिवार बांस के विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का निर्माण कर रोजगार में संलग्न हैं उनके द्वारा बनाए जाने वाले शिल्पों में मुख्य रूप से सोफा सेट, टेबल, कुर्सी, स्टील मोड़ा, पलंग सेट एवं सजावटी व विभिन्न प्रकार की उपयोगी सामान प्रमुख हैं।
छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि शिल्पियों को स्थानीय शासकीय विभागों से भी निरंतर विभिन्न प्रकार के बांस शिल्प समान सामग्री बनाने के भी आदेश प्राप्त हुए हैं जिनमें मुख्य रूप से बांस के रेक, स्टॉपर, ट्री गार्ड, बैंबू बास्केट, बैंबू बटन  तथा वीआईपी आगंतुकों के लिए स्मृति चिन्ह आदि। शिल्प सामग्री की पूर्ति नारायणपुर केंद्र के द्वारा किया जाता है। वर्तमान में ट्री गार्ड बनाने के लिए पच्चीस लाख के आर्डर  प्राप्त है तथा तीन लाख के फर्नीचर सामग्री बनाने के आदेश प्राप्त हुए हैं। जिससे स्थानीय स्तर पर लगभग 30-40 परिवार इस कार्य में संलग्न होकर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।

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