भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की जरूरत: संजीव सान्याल

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने गुरूवार को कहा कि भारतीय इतिहास पर दोबारा चर्चा करने और पुनर्लेखन की जरूरत है ताकि भविष्य की पीढ़ी को भारत केे सही इतिहास को समझने में मदद मिल सके। सान्याल ने नेताजी सुभाष बोस - आईएनए ट्रस्ट और फिक्की द्वारा यहां आयोजित 14वें नेजाती सुभाष मेमोरियल व्याख्यान में कहा कि भारत को अपने इतिहास पर फिर से चर्चा शुरू करने की जरूरत है। इसको शुरू करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई औपचारिक , आधिकारिक इतिहास की किताब को पढ़ेगा तो उसे देश के स्वतंत्रता संघर्ष की विशेषता जानने का मौका मिलेगा। ब्रिटेन से सविनय पूवर्क देश छोडऩे का निवेदन किया और वे विनम्रता से भारत छोड़कर चले गये। हालांकि उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष को लेकर इससे एकदम अलग कहानी बतायी जा सकती है जिसमें काफी लंबे समय तक चले सशस्त्र संघर्ष की कहानी होगी।
 उन्होंने कहा कि इसका मतलब नहीं है कि अहिंसा का योगदान नहीं रहा। उसकी भी भूमिका थी। लेकिन सशस्त्र संघर्ष हुआ था। यह भी महत्वपूर्ण घटनाक्रम है लेकिन इसको साधारण मानकर हटा दिया गया है। श्री सान्याल ने कहा कि गलत अर्थ को सिर्फ आलोचन से नहीं हटाया जा सकता है और इसको सिर्फ नये अर्थ से ही हटाया जा सकता है जिसको लिखने की जरूरत है। पाठ्यपुस्तकों में बदलाव से ही सिर्फ यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है।उन्होंने कहा कि नया इतिहास लिखने में बहुत मेहनत की जरूरत होगी और इसमें वह अधिक पहल नहीं कर सकते हैं। भारतीय इतिहास के एक हिस्से को लेना चाहिए और उसके साक्ष्य को लेना चाहिए तथा इसका पुनर्लेखन किया जाना चाहिए।

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