भगवान जगन्नाथ, भाई बलभ्रद व बहन सुभद्रा की रथयात्रा के लिए तैयारियां जोर-शोर से जारी

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रायपुर । जगन्नाथ मंदिर पुरी की तर्ज पर प्रतिवर्षानुसार इस बार भी राजधानी रायपुर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा की रथयात्रा 4 जुलाई को बड़े धूमधाम से निकाली जाएगी। इसके लिए शहर में अलग-अलग जगहों पर स्थित जगन्नाथ मंदिरों में तैयारियां जोर-शोर से की जा रही है।
राजधानी में सबसे प्राचीन जगन्नाथ मंदिर टूरी हटरी पुरानी बस्ती में है, वहीं सबसे भव्य जगन्नाथ मंदिर गायत्री नगर में जो पुरी के जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है। इस मंदिर में जगन्नाथ की रथ यात्रा के दिन प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री सपरिवार शामिल होकर पूजा-पाठ में शामिल होते है। इस बार भी इस मंदिर ट्रस्ट द्वारा राज्यपाल और मुख्यमंत्री को रथयात्रा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा सदर बाजार और गुढिय़ारी में भी भगवान जगन्नाथ मंदिर है। गायत्री नगर मंदिर की तरह अन्य मंदिरों में भी भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा की रथयात्रा धूमधाम से निकाली जाती है। इसके लिए सभी मंदिरों में तैयारियां भी जोर-शोर से की जा रही है।
रथ यात्रा का महत्व:
भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा में शामिल होने का पौराणिक महत्व है। ब्रह्मपुराण, नारद पुराण, पदम पुराण एवं स्कंद पुराण में भगवान श्री जगन्नाथ जी की महिमा का उल्लेख मिलता है। इनमें बताया गया है कि परम सौभाग्यशाली व्यक्ति ही भगवान की यात्रा में शामिल होता है। उससे भी ज्यादा सौभाग्यशाली वह व्यक्ति है जो भगवान के रथ की रस्सी खींचता है और रथ के आगे-आगे सफाई का काम करता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन बृज के गोप ग्वाल एवं गोप सेनाओं की तरह दिव्य हो जाता है। उनको पूर्ण आध्यात्मिक शरीर प्राप्त हो जाता है। जन्म, मृत्यु, जरा और व्याधि से छुटकारा मिल जाता है। अषाढ़ सुदी द्वितीया को भगवान खुद मंदिर से बाहर निकलकर रथ में सवार होकर भक्तों को दर्शन देकर उन्हें कृतार्थ करने को निकलते हैं।  

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