आदिवासी जल-जंगल-जमीन के असली रखवाले : कवासी लखमा



  • स्थानीयजनों को मिलेगा रोजगार इसलिए बस्तर में लगेंगे छोटे-छोटे उद्योग 
  • आदिवासियों का गांव उजाड़कर उद्योग स्थापित करना सही नही
  • पूर्ववती सरकार की गलत नीतियों से समाज के सभी वर्ग थे नाखुश
  • गांव, गरीब, किसान, आदिवासियों के हितों के लिए कांग्रेस रही हमेशा आगे

रायपुर । पूर्ववती सरकार ने आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों की अनदेखी की, आदिवासियों की जमीनें छीनकर टाटा जैसे बड़े उद्योग को थमा दिया। लेकिन कांग्रेस सरकार ने पीडि़त आदिवासियों के दर्द को समझा और राज्य में सरकार बनते ही सबसे पहला काम यही किया कि आदिवासियों को उनकी जमीनें वापस की। राज्य की कांग्रेस सरकार ने इतिहास रचते हुए सरकार बनने के चंद घंटों के भीतर ही किसानों के कर्ज माफी का ऐलान किया और धान का समर्थन मूल्य 2500 रूपए किया। यह भी पहला मामला होगा जब राज्य सरकार ने किसी उद्योग के लिए अधिग्रहित की गई आदिवासियों की जमीनें वापस आदिवासियों को दिलाई हो।
उक्त बातें प्रदेश के उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने आज प्रेसक्लब में आयोजित रूबरू कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। श्री लखमा ने बताया कि यह कांग्रेस पार्टी ही है जिसने एक किसान के बेटे को मुख्यमंत्री बनाया। कांग्रेस पार्टी ने उनके जैसे साधारण से आदिवासी को लगातार 5 बार टिकट दिया और आज मंत्री भी बनाया। कांग्रेस शुरू से ही पिछड़ों, गरीबों, आदिवासियों के हितों के लिए लडऩे वाली पार्टी रही है और आज भी राज्य की कांग्रेस सरकार इसी दिशा में निरंतर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासनकाल में टाटा को जो जमीन दी गई थी, उस पर क्या काम हुआ? क्या आदिवासियों को इसका लाभ मिला? भाजपा सरकार की नीति और रीति के चलते टाटा कंपनी भी अब बस्तर को टाटा-टाटा-बाय-बाय करके चली गई है। कांग्रेस कभी भी विकास विरोधी नहीं रही है, लेकिन विकास के नाम पर आदिवासियों के हितों की अनदेखी भी नहीं की जा सकती। श्री लखमा ने कहा कि हम भी चाहते हैं कि बस्तर में उद्योग स्थापित हों, बेरोजगारों को रोजगार मिले, लेकिन इस कीमत पर नहीं कि उद्योग के नाम पर गांव के गांव बर्बाद कर दिए जाएं। उन्होंने बताया कि नगरनार के अलावा अब कोण्डगांव में 105 करोड़ की लागत से मक्का प्रोसेसिंग के लिए प्लांट लगने वाला है, इसके अलावा लोहंडीगुड़ा जैसे इलाकों में भी छोटे प्लांट लगेंगे। जिससे स्थानीय आदिवासियों को रोजगार मिल सके। छोटे प्लांट और उद्योग से लाभ यह होगा कि क्षेत्रवासियो को जहां रोजगार मिलेगा तो वहीं इससे गांव भी सुरक्षित रहेंगे और किसी का घर भी नहीं उजड़ेगा।
श्री लखमा ने कहा कि जल, जंगल, जमीन, नदी, नालों के किनारे ही आदिवासी बसते हैं और सदियों से इनकी रक्षा भी करते आए हैं। विगत 15 सालों में आदिवासियों को पट्टा वितरण नहीं किया गया था, ऐसे वंचित और जरूरतमंद आदिवासियों को अब कांग्रेस सरकार वन अधिकार पट्टा दे रही है। मुख्यमंत्री ने सभी जिला कलेक्टरों को इस आशय का आदेश दे दिया है। श्री लखमा ने बताया कि वे स्वयं 4 मार्च को गरियाबंद जाने वाले हैं और वहां के आदिवासियों को पट्टा वितरित करने वाले हैं। नक्सल मुद्दे पर चर्चा करते हुए श्री लखमा ने कहा कि सरकार बने अभी केवल 2 माह हुए हैं। नक्सल मुद्दे से निपटने के लिए उन्होंने ठोस रणनीति बनाए जाने की बात कही। वहीं नक्सल हिंसा से पीडि़तजनों से प्रत्यक्ष मुलाकात करने, उनकी हर संभव मदद करने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि इस ज्वलंत मुद्दे का हल सभी वर्गों से राय-शुमारी करके की जा सकती है। श्री लखमा ने बताया कि वे जल्द ही एक कार्यक्रम शुरू करवाएंगे, जिसमें आदिवासी युवाओं को जो कि 10वीं, 12वीं पास हैं, उनके लिए रोजगारमूलक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें उनके के लिए सभी तरह की सुविधाएं जुटाई जाएगी। शराबबंदी के मुद्दे पर श्री लखमा ने कहा कि इसके लिए एक हाईपावर कमेटी बनाई जाएगी। एक टीम तैयार की जाएगी जो कि गुजरात, उत्तरप्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में जाकर शराबबंदी के बाद उत्पन्न होने वाले हालातों का जायजा लेंगे। उन्होंने कहा कि शराबबंदी, नोटबंदी की तरह अचानक निर्णय लेकर नहीं किया जाएगा, इसके लिए समाज के सभी वर्गों से राय-शुमारी ली जाएगी, राज्य सरकार शराबबंदी को लेकर गंभीर है, ठोस योजना बनाकर इस पर काम शुरू किया जाएगा।  

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