विद्यार्थियों को ऐसी तालीम मिले कि वे आत्मनिर्भर बनें : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

  • पंडित सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक एवं उपाधि वितरण
बिलासपुर । विद्यार्थियों को ऐसी तालीम मिले कि वे स्वयं का रोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बनें। इससे वे स्वयं और माता-पिता के पालन पोषण के साथ-साथ अन्य जरूरतमंद लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में उक्त बातें कहीं। राज्यपाल ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्रमाण पत्र वितरण किया।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने संबोधित करते हुए कहा कि आज लाखों विद्यार्थी विभिन्न व्यवसायों का शिक्षा ले रहे हैं। वे विभिन्न बैंकों से मुद्रा लोन लेकर व्यवसाय प्रारंभ कर आगे बढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय एवं शासन ऐसे विद्यार्थियों का ध्यान रखें, ताकि वे भविष्य में मेहनतकश बने रहें। शासन के योजनाओं का लाभ उठाकर परिश्रम करते रहे, ताकि उन्हें किसी के समक्ष हाथ न फैलाना न पड़े। राज्यपाल ने प्रयागराज कुंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि करोड़ों लोग गंगा दर्शन के लिये आए। वहां बेहतर बुनियादी सुविधाओं के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। वहां किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं हुई। रक्तदान शिविर जैसे कार्यक्रम के साथ विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम हुए। स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा गया। वहां के प्रबंधन में किस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया। यह सीखने का विषय है। ऐसे पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय में शामिल किया जाना चाहिए। यदि विद्यार्थी ऐसे गुर अपने पढ़ाई के दौरान सीख लेते हैं तो उन्हें इस प्रकार के प्रबंध करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। कम पानी में बेहतर उत्पादन करने एवं गरीब बच्चों को शिक्षा मिले यह सालों से चल रहा है। ऐसे कार्यक्रमों से उनके जीवन में क्या बदलाव आया। विश्वविद्यालय को अध्ययन कर इनकी उपयोगिता पर रिपोर्ट तैयार करना चाहिए। ऐसे अध्ययन विश्वविद्यालय नहीं करती जबकि उन्हें करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह का स्वरूप में बदलाव करने की आवश्यकता है। साल भर विश्वविद्यालय में कई तरह के कार्यक्रम करते रहते हैं। साल भर के कार्यों की पूरी प्रदर्शनी दीक्षांत समारोह के दौरान लगाई जानी चाहिये ताकि विश्वविद्यालय में आने वाले नये विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक प्रदर्शनी का अवलोकन कर सकें। उन्होंने स्वर्णपदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि वे विश्वविद्यालय में अपनी यादें छोड़कर जाय। प्रत्येक विद्यार्थी विश्वविद्यालय परिसर में पेड़ अधिक से अधिक लगाएं। प्रयास करें कि 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले बरगद-पीपल जैसे पेड़ अधिक लगाएं। राज्यपाल ने बताया कि मध्यप्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय को 5-5 गांव गोद लेने के लिए कहा गया है। विद्यार्थी गांवों में जाकर वहां के माताओं एवं बच्चों से मिलें। गांव की स्वच्छता, पेयजल एवं बच्चे समय पर स्कूल जाएं इसका प्रयास करें। विशेषकर लड़कियों की देखभाल आवश्यक है। आने वाले समय में उन्हें माता बनना है। राज्यपाल ने कहा कि शासन, विश्वविद्यालय एवं स्वास्थ्य विभाग आपसी समन्वय से कार्य करेंगे तो यह बेहतर हो सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। कुपोषित बच्चों के प्रति विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय पंडित सुन्दरलाल शर्मा के नाम पर है, वे अंधविश्वास एवं अस्पृश्यता निवारण के लिए काम किया। उनके बताए मार्ग पर चलें। उन्होंने यह भी कहा कि बाल विवाह जैसे सामाजिक कुरीतियों को बंद करें। बाल विवाह की सूचना मिलने पर वहां जाकर बंद कराएं, साथ ही स्वयं प्रण करें कि खुद के परिवार में बाल विवाह न हो।
राज्यपाल ने कहा कि मेडिकल कालेजों को निर्देशित किया गया है कि सभी बालिकाओं का ब्लड टेस्ट कराएं। खून की कमी होने पर उपचार करें और उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन दें। ऐसे कार्यक्रमों का विश्वविद्यालय में सेमीनार आयोजित कर देखेरेख करने के बारे में बताया जाय। उन्होंने कहा कि परिणाम अच्छा आने पर संतोष मिलता है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के उज्जवल एवं सफल जीवन के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।
समारोह में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र ने दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने अपने संबोधन मंे कहा कि यह विश्वविद्यालय ‘‘छत्तीसगढ़ के गांधी’’ के रूप में विख्यात पंडित सुन्दरलाल शर्मा के सपनों को साकार कर रहा है। श्री मिश्र ने कहा कि व्यक्ति और समाज के निर्माण में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने देश के नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला और ओदंतपुरी जैसे विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे अपनाकर सर्वोत्कृष्ट बन सकते हैं। श्री मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रति ध्यान देने की आवश्यकता है। संकीर्णता से उपर उठकर कल्याणकारी भावना से कार्य करने उन्होंनेे विशेष जोर दिया। समारोह में पंडित सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.वंशगोपाल ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कुलसचिव डॉ.राजकुमार सचदेव ने उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल के संदेश का वाचन किया। समारोह में कुलपति डॉ.वंशगोपाल ने राज्यपाल महोदय को प्रतीक चिन्ह भेंट किया। समारोह में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति, पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएं एवं उनके अभिभावकगण मौजूद थे। दीक्षांत समारोह के पूर्व हेलीपेड पर कलेक्टर डॉ. संजय अलंग एवं पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक मीणा एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने स्वागत किया।

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