नई ई-कामर्स नीति से घटेगा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, भारत के कारोबारियों को लगेगा झटका




 नई दिल्ली।  नई ई-कामर्स नीति से भारत के कारोबारियों को भारी नुक्सान झेलना पड़ सकता है। दूसरी तरफ बाजार विशेषज्ञों का भी यहीं मानना है कि विदेशी ई-कामर्स कंपनियों के लिए नियम सख्त करने से लम्बे समय में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और उपभोक्ताओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उनका कहना है कि नियमों में बदलाव भारतीय उपभोक्ताओं के हित में नहीं। एक तरफ भारत सरकार सौ अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने की बात करती है तो दूसरी तरफ नए नियम बना देती है, इससे विदेशी कंपनियों को गलत संदेश जाएगा। इससे निश्चित रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश घट सकता है।





कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ई-कामर्स कंपनियों के लिए बनाए गए सख्त नियमों का इस क्षेत्र पर कोई ज्यादा असर नहीं होगा। सरकार ने जनेस मॉडल में बदलाव करने के लिए 1 महीने का वक्त दिया है कंपनियों की माने तो ये बहुत कम समय है वहीं बदलावों को लेकर बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां सरकार का दरवाजा खटखटा सकती है और नियम लागू करने की समयसीमा को एक फरवरी से आगे बढ़ाने की मांग कर सकती हैं। कंपनियों का मानना है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र से जुड़ी नीतियों में जो बदलाव किए गए उनका पालन करने और उनको परिचालन में लाने के लिए कम से कम 4 से 5 महीने चाहिए।



एमेजान और फ्लिपकार्ट को लगेगा बड़ा झटका
नई नीति से एमेजान और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। घरेलू कारोबारी काफी अर्से से ई-कामर्स कंपनियों के कामकाज से नाराज हैं और सरकार से मांग कर रहे थे कि ई-कामर्स कंपनियों पर शिकंजा कसा जाए। नए नियमों का मकसद इन प्लेटफार्मों को किसी भी तरह से पक्षपात से मुक्त करना है। कलाउडटेल को ऐमेजान और डब्ल्यूएस रिटेल को फ्लिपकार्ट से जोड़कर देखा जाता है लेकिन नए नियमों की वजह से वे संबंधित प्लेटफार्म्स पर सामान नहीं बेच पाएगी। फ्लिपकार्ट की नई मालिक बालमार्ट खुद इस ई-कामर्स प्लेटफार्म पर सामान नहीं बेच पाएगी। ई-कामर्स प्लेटफार्म्स की सहयोगी इकाइयों की तरफ से डिस्काउंट को लेकर काफी शिकायतें मिल रही थीं वे लाजिसस्टिक्स और होलसेल एंटिटी के जरिए ये छूट दे रहे थे।



छोटे व खुदरा व्यापारी फैसले से खुश
व्यापारी संगठन और छोटे व खुदरा व्यापारी सरकार के इस फैसले से खुश हैं। ई-कामर्स कंपनियों के बंपर छूट और कैशबैक जैसे ऑफर से कई छोटे कारोबारियों का मुनाफा आधा हो गया और उनके अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

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