1978 में की थी वकालत की शुरुआत
- न्यायमूर्ति गोगोई ने 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट से अपनी वकालत शुरू की थी।
- गुवाहाटी उच्च न्यायालय में संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में वकालत की।
- 28 फरवरी, 2001 को उन्हे गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
- 9 सितंबर, 2010 को उनका तबादला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में हो गया।
- 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
- 23 अप्रैल, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
- दिपक मिश्रा ने न्यायमूर्ति गोगोई के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के तौर पर की थी।
सीजेआई गोगोई के पास नहीं है खुद की कार
- सीजेआई गोगोई के पास सोने की एक भी जूलरी नहीं है,
- जस्टिस गोगोई के पास अपनी कोई व्यक्तिगत गाड़ी नहीं है।
- एलआईसी पॉलिसी समेत गोगोई और उनकी पत्नी के पास कुल मिलाकर 30 लाख रुपये बैंक बैलेंस है।
- जस्टिस का शेयर बाजार में भी कोई निवेश नहीं है।
- गोगोई न कोई लोन लिया है और न ही किसी तरह की देनदारी है।
गोगोई के अहम फैसले
- देश की राजनीति में हचलच मचाने वाले असम एनआरसी का फैसला सुनाने वाले जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे।
- जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के मामले में जस्टिस गोगोई ने ही एसआईटी के गठन से इंकार किया था।
- गोगोई लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के प्रत्याशियों के लिए संपत्ति, शिक्षा और उनके खिलाफ चल रहे केसों का विवरण अनिवार्य करने वाली बेंच में भी शामिल थे।
- जस्टिस ने ही अनुसूचित जाति के व्यक्ति को दूसरे राज्य में आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने का फैसला सुनाया था।
- केंद्रीय सेवाओं में जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग के दायरे से बाहर करने वाली बेंच में भी जस्टिस गोगोई थे।
- जस्टिस रंजन गोगोई ने ही सौम्या मर्डर मामले में ब्लॉग लिखने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को कोर्ट में तलब किया था।
- कोलकाता हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन को 6 महीने की सजा सुनाने वाली पीठ में भी जस्टिस गोगोई शामिल थे।
- सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट के गठन का आदेश देने वाली पीठ में जस्टिस गोगोई शामिल थे।
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